बिहार विधानसभा चुनाव से पहले, बीजेपी एक नया अध्यक्ष चुन सकती है। नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के चयन में देरी के कई कारण हैं, जिनमें से एक प्रमुख कारण राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) द्वारा नए अध्यक्ष के नाम पर व्यापक विचार-विमर्श है। संसद का मानसून सत्र समाप्त होने के बाद, नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया में तेजी आने की उम्मीद है। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के नाम के चयन में आरएसएस की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
बीजेपी, आरएसएस का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। अन्य संगठनों की तरह, बीजेपी के प्रमुख के चयन में भी आरएसएस का प्रभाव होता है। आरएसएस ने नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के नाम के सुझाव के लिए लगभग 88 वरिष्ठ नेताओं से संपर्क किया है और उनसे इस पद के लिए उनकी पसंद के बारे में चर्चा की है।
इनमें बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष, वरिष्ठ केंद्रीय मंत्री और आरएसएस तथा बीजेपी से जुड़े और संवैधानिक पदों पर रहे नेता शामिल हैं। संघ ने इन 88 वरिष्ठ नेताओं से व्यक्तिगत रूप से मुलाकात करके नए अध्यक्ष के बारे में सुझाव लिए। कई वरिष्ठ नेताओं ने नाम सुझाए, जबकि कुछ ने कहा कि वे सहमत होंगे। एक पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और देश के दूसरे सर्वोच्च संवैधानिक पद पर रह चुके एक नेता ने एक केंद्रीय मंत्री का नाम सुझाया जो पहले मुख्यमंत्री रह चुके हैं।
आरएसएस के करीबी एक पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और वर्तमान में केंद्र में मंत्री ने आरएसएस को बताया कि उन्होंने कभी कोई सुझाव नहीं दिया और अब भी नहीं देंगे, संघ की राय ही उनकी अंतिम राय होगी। एक केंद्रीय मंत्री जो मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं, उन्होंने अपनी उम्र का हवाला देते हुए पार्टी अध्यक्ष बनने से इनकार कर दिया, लेकिन यह भी कहा कि अगर उन्हें चुना जाता है तो वे जिम्मेदारी लेने से पीछे नहीं हटेंगे। दक्षिण भारत के एक राज्य के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके एक केंद्रीय मंत्री ने कहा कि वे इस जिम्मेदारी को लेने में सक्षम नहीं मानते हैं।
इस रायशुमारी में एक आम सुझाव यह था कि नए राष्ट्रीय अध्यक्ष की उम्र लगभग 60 वर्ष होनी चाहिए।
उपराष्ट्रपति का चुनाव 9 सितंबर को होना है। बीजेपी का ध्यान एनडीए उम्मीदवार को अधिक से अधिक वोट दिलाने पर है। जल्द ही यूपी, कर्नाटक, गुजरात जैसे राज्यों के प्रदेश अध्यक्षों का चुनाव हो सकता है। इसके बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव होगा। नए अध्यक्ष के लिए जिस तरह से बड़े स्तर पर राय ली गई, उसी तरह प्रदेश और जिला अध्यक्षों के लिए भी राय ली गई। बीजेपी चाहती है कि अध्यक्ष का चुनाव सर्वसम्मति से हो ताकि संगठन मजबूत रहे। इसी तरह, मंडल अध्यक्षों के चुनाव में भी युवाओं को मौका देने का फैसला किया गया। मंडल अध्यक्षों की उम्र 40 वर्ष से कम रखने का प्रयास किया गया। परिणामस्वरूप, देश भर के लगभग 15,000 मंडलों में से अधिकांश में युवाओं को मौका मिला। जिला और प्रदेश अध्यक्षों के चुनाव में यह ध्यान रखा गया कि वे कम से कम दस साल से बीजेपी में सक्रिय सदस्य हों। यह हाल के सबक के बाद किया गया, क्योंकि अन्य दलों से आने वाले नेताओं को महत्वपूर्ण पद मिलने से बीजेपी कार्यकर्ताओं में असंतोष था।