असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने गुरुवार को शस्त्र लाइसेंस सेवाओं की शुरुआत की घोषणा की। उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार केवल लाइसेंस जारी करेगी, हथियार नहीं देगी। यह कदम कमजोर वर्गों को सुरक्षा प्रदान करने और जरूरत पड़ने पर आत्मरक्षा में सक्षम बनाने के लिए उठाया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘हमने सेवा सेतु पोर्टल के तहत एक नागरिक सेवा के रूप में शस्त्र लाइसेंस सेवाओं की शुरुआत की है। इस योजना के तहत, सीमावर्ती संवेदनशील क्षेत्रों में रहने वाले राज्य के मूल निवासी शस्त्र लाइसेंस के लिए आवेदन कर सकेंगे। सरकार हथियार नहीं देगी। सरकार केवल शस्त्र लाइसेंस प्रदान करेगी।’
इस पहल का उद्देश्य उन स्वदेशी समुदायों को सुरक्षा प्रदान करना है जो खतरों और कमजोरियों का सामना कर रहे हैं, खासकर उन क्षेत्रों में जहां जातीय या सांप्रदायिक तनाव का इतिहास रहा है, और जनसांख्यिकीय परिवर्तनों ने राज्य के स्वदेशी लोगों के लिए खतरा पैदा कर दिया है। राज्य सरकार ने राज्य के विभिन्न हिस्सों में अवैध अतिक्रमणकारियों के खिलाफ एक बड़ी बेदखली मुहिम चलाई है और 1.29 लाख बीघा से अधिक सरकारी और वन भूमि खाली कराई है।
सरकार का लक्ष्य इन समुदायों को आत्मरक्षा के लिए सशक्त बनाकर क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखना है। शस्त्र लाइसेंस देने की प्रक्रिया में सुरक्षा मूल्यांकन, पृष्ठभूमि की जांच, मौजूदा कानूनों का पालन, लाइसेंसों का गैर-हस्तांतरणीय होना, नियमित समीक्षा और निगरानी शामिल है। शस्त्र लाइसेंस के लिए पात्र होने के लिए, आवेदकों को असम का मूल निवासी या स्वदेशी भारतीय नागरिक होना चाहिए, अपने क्षेत्र में खतरे का अनुभव करना चाहिए और जिला प्रशासन द्वारा अधिसूचित या अधिकृत सुरक्षा एजेंसियों द्वारा मूल्यांकित एक संवेदनशील या दूरस्थ क्षेत्र में रहना चाहिए।