सुप्रीम कोर्ट ने IMA द्वारा पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया है, जिससे पतंजलि को बड़ी राहत मिली है। IMA ने पतंजलि के विज्ञापनों में भ्रामक दावों और आधुनिक चिकित्सा के अपमान का आरोप लगाया था।
यह मामला आयुष मंत्रालय द्वारा 1 जुलाई, 2024 को औषधि एवं प्रसाधन सामग्री नियम, 1945 में किए गए बदलाव से जुड़ा है, जिसके तहत आयुर्वेदिक दवाओं के विज्ञापन के लिए राज्य लाइसेंसिंग अधिकारियों से पूर्व अनुमोदन की आवश्यकता को समाप्त कर दिया गया था। हालांकि, बाद में सुप्रीम कोर्ट की एक पीठ ने इस बदलाव पर रोक लगा दी।
जस्टिस के.वी. विश्वनाथन ने सवाल किया कि केंद्र द्वारा हटाए गए नियम को राज्य सरकार कैसे लागू कर सकती है। अंततः, जस्टिस बी.वी. नागरत्ना ने मामले को बंद करने का सुझाव दिया। अदालत ने स्पष्ट किया कि केंद्र द्वारा हटाए गए किसी प्रावधान को बहाल करने का अधिकार अदालत के पास नहीं है। इस मामले में, अदालत ने पहले भ्रामक विज्ञापनों, नियामक अधिकारियों की निष्क्रियता और बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को लेकर भी निर्देश जारी किए थे। अदालत ने पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही भी शुरू की थी, जिसे बाद में बंद कर दिया गया।