बिहार विधानसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग द्वारा मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण (SIR) की घोषणा के बाद से ही राजनीतिक माहौल गरमा गया है। कांग्रेस और आरजेडी ने इसका कड़ा विरोध किया है, तेजस्वी यादव ने चुनाव बहिष्कार की धमकी दी और भाजपा व चुनाव आयोग पर धांधली के आरोप लगाए। यह मुद्दा अब राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बन गया है। इंडिया ब्लॉक ने इसे भाजपा और चुनाव आयोग के खिलाफ एक महत्वपूर्ण मुद्दा बना लिया है, जिससे लोकसभा चुनाव के बाद बिखरे विपक्षी दल एकजुट हो रहे हैं। यह एकजुटता बिहार, बंगाल, महाराष्ट्र के साथ-साथ संसद के मानसून सत्र और राष्ट्रीय स्तर पर भी दिखाई दे रही है। राहुल गांधी के नेतृत्व में इंडिया गठबंधन के नेताओं की बैठक में SIR के विरोध पर सहमति बनी।
सोमवार को, इंडिया ब्लॉक के सांसद राहुल गांधी के नेतृत्व में संसद से चुनाव आयोग तक मार्च करेंगे और मतदाता सूची में कथित ‘वोट चोरी’ के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे। विपक्ष का यह विरोध प्रदर्शन राहुल गांधी द्वारा कर्नाटक में ‘वोट चोरी’ के आरोपों के बाद हो रहा है, जहां उन्होंने चुनाव आयोग पर भाजपा के साथ मिलीभगत का आरोप लगाया। राहुल गांधी ने 2024 के लोकसभा चुनावों में भी ‘वोट चोरी’ के आरोपों को दोहराया और निष्पक्ष चुनाव के लिए ‘स्वच्छ’ मतदाता सूची की आवश्यकता पर जोर दिया। पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस ने SIR के खिलाफ आंदोलन शुरू करने का ऐलान किया है और ममता बनर्जी ने इसे एनआरसी लागू करने की साजिश बताया है। बिहार चुनाव में, इंडिया गठबंधन SIR और चुनाव में धांधली के मुद्दे पर बीजेपी और नीतीश कुमार को चुनौती देने की तैयारी कर रहा है। राजनीतिक विश्लेषक ओम प्रकाश अश्क का मानना है कि विपक्ष ने SIR को मुद्दा बनाकर आंदोलन की रणनीति बनाई है।