विभिन्न दलों के सांसदों ने सोमवार को लोकसभा अध्यक्ष को एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें जस्टिस यशवंत वर्मा को पद से हटाने की मांग की गई थी। 145 लोकसभा सदस्यों ने संविधान के अनुच्छेद 124, 217 और 218 के तहत जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए।
कांग्रेस, टीडीपी, जदयू, जेडीएस, जन सेना पार्टी, एजीपी, एसएस (शिंदे), एलजेएसपी, एसकेपी, सीपीएम सहित विभिन्न दलों के सांसदों ने इस ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। इस ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने वालों में अनुराग सिंह ठाकुर, रविशंकर प्रसाद, राहुल गांधी, राजीव प्रताप रूडी, पीपी चौधरी, सुप्रिया सुले, केसी वेणुगोपाल और अन्य जैसे प्रमुख सांसद शामिल थे।
राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने बताया कि उन्हें 50 सांसदों द्वारा हस्ताक्षरित एक प्रस्ताव मिला है, जिसमें जस्टिस यशवंत वर्मा को हटाने की मांग की गई है। यह प्रस्ताव तब आया जब जस्टिस वर्मा को दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश रहते हुए उनके आवास में आग लगने के बाद वहां से अधजली नकदी पाई गई थी, जिसके बाद एक आंतरिक जांच समिति ने उन्हें दोषी ठहराया था।
धनखड़ ने कहा कि यह प्रस्ताव एक उच्च न्यायालय के न्यायाधीश को हटाने की प्रक्रिया शुरू करने के लिए सांसदों द्वारा हस्ताक्षरित प्रस्ताव की संख्यात्मक आवश्यकता को पूरा करता है। उन्होंने बताया कि यदि प्रस्ताव संसद के एक या दोनों सदनों में पेश किया जाता है तो न्यायाधीश (जांच) अधिनियम के तहत प्रक्रिया अलग है।
उन्होंने कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल से पूछा कि क्या लोकसभा में भी ऐसा ही प्रस्ताव पेश किया गया है।
जस्टिस यशवंत वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है, जिसमें उन्होंने आंतरिक तीन-न्यायाधीश जांच समिति की रिपोर्ट और पूर्व सीजेआई संजीव खन्ना की उनके खिलाफ महाभियोग कार्यवाही शुरू करने की सिफारिश को चुनौती दी है।
जस्टिस वर्मा ने कहा कि उन्हें आंतरिक जांच समिति के निष्कर्षों को प्रस्तुत करने से पहले प्रतिक्रिया देने का उचित अवसर नहीं दिया गया। यह याचिका सोमवार को शुरू हुए संसद के मानसून सत्र से पहले आई।