बॉलीवुड अभिनेता रणवीर सिंह एक गंभीर विवाद में फंस गए हैं। हाल ही में गोवा में आयोजित भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (IFFI) में, रणवीर सिंह ने बहुचर्चित फिल्म ‘कंतारा’ के क्लाइमेक्स सीन की नकल करते हुए, ऋषभ शेट्टी द्वारा निभाई गई चावुंडी दैवी की भूमिका को मंच पर दोहराया, जिसके बाद उन पर कानूनी कार्रवाई की तलवार लटक गई है।
मिली जानकारी के अनुसार, बेंगलुरु के एक वकील, प्रशांत मेटल ने रणवीर सिंह के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। आरोप है कि 28 नवंबर को IFFI के मंच पर, रणवीर ने ‘उल्लालथी दैवी’ के किरदार को हूबहू पेश किया। वकील का कहना है कि यह कृत्य “अवैध” और “अपमानजनक” है, जिसने तुलु समुदाय सहित लाखों लोगों की धार्मिक भावनाओं को आहत किया है। इस शिकायत के आधार पर, पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता (BNS), 2023 की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया है।
शिकायतकर्ता ने यह भी दावा किया कि रणवीर सिंह ने IFFI समारोह के दौरान दैवी के बारे में कुछ आपत्तिजनक बातें भी कहीं। यह घटना रणवीर द्वारा सोशल मीडिया पर सार्वजनिक माफी मांगे जाने के ठीक एक दिन बाद हुई है।
अपनी माफी में, रणवीर सिंह ने स्पष्ट किया था, “मैं केवल ऋषभ शेट्टी के शानदार अभिनय की प्रशंसा करना चाहता था। एक सह-अभिनेता के रूप में, मैं समझता हूं कि उस दृश्य को उस स्तर पर करने में कितना समर्पण लगता है। मैं हमेशा से भारत की सभी संस्कृतियों और परंपराओं का सम्मान करता हूं। यदि अनजाने में किसी की भावनाओं को ठेस पहुंची है, तो मैं तहे दिल से माफी मांगता हूं।”
**दैव पूजा: तुलु परंपरा का मर्म**
‘कंतारा’ फिल्म ने ‘दैव पूजा’ या ‘धैवराराधने’ जैसी प्राचीन परंपराओं को दुनिया भर में पहचान दिलाई है। यह प्रथा विशेष रूप से कर्नाटक के तुलुनाडु क्षेत्र में गहराई से निहित है और इसका स्थानीय समुदाय के लिए अत्यधिक धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है। इस अनुष्ठान में, देवता या दैवी आत्माओं का आह्वान किया जाता है, और औपचारिक नृत्य के माध्यम से वे भक्तों के सामने प्रकट होते हैं। इसे मानव और अलौकिक लोकों के बीच संवाद का एक शक्तिशाली माध्यम माना जाता है।
फिल्म में दैवी के चित्रण को अत्यंत सम्मान के साथ प्रस्तुत किया गया है, जो इस अनुष्ठान की दिव्यता और इसके प्रति लोगों की गहरी आस्था को दर्शाता है।
**’कंतारा चैप्टर 1′ में तुलु संस्कृति का चित्रण**
‘कंतारा चैप्टर 1’ में गुलिगा दैवी और ‘भूत कोला’ जैसे पारंपरिक अनुष्ठानों के माध्यम से तुलुनाडु की रहस्यमयी दुनिया को पर्दे पर उतारा गया है। यह फिल्म एक प्राचीन राज्य की कहानी कहती है, जहां न्यायप्रिय राजा और उसकी बहन के सामने बर्ने नामक एक शक्तिशाली योद्धा खड़ा होता है। यह कहानी लोककथाओं, आस्था और सत्ता के संघर्षों को खूबसूरती से बुनती है, जिससे दर्शकों को तुलु संस्कृति की गहराई का अनुभव होता है।
