बॉलीवुड इतिहास में कई यादगार बॉक्स ऑफिस क्लैश हुए हैं, और 2012 का ‘जब तक है जान’ बनाम ‘सन ऑफ़ सरदार’ का टकराव निश्चित रूप से उनमें से एक है। 13 नवंबर 2025 को इन दोनों फ़िल्मों ने अपनी रिलीज़ के 13 साल पूरे कर लिए हैं। यह वो समय था जब स्क्रीन की उपलब्धता को लेकर एक बड़ा विवाद खड़ा हुआ, जिसने इंडस्ट्री में हलचल मचा दी थी।
यह कोई नई बात नहीं है कि बड़ी फ़िल्में अक्सर ऐसे समय में रिलीज़ होती हैं जब उन्हें सबसे ज़्यादा दर्शक मिल सकें। 2012 में, यश राज फ़िल्म्स की ‘जब तक है जान’ (शाहरुख़ ख़ान अभिनीत) और अजय देवगन की ‘सन ऑफ़ सरदार’ के बीच मल्टीप्लेक्स और सिंगल-स्क्रीन थियेटरों पर कब्जे को लेकर जंग छिड़ गई थी।
‘सन ऑफ़ सरदार’ के निर्माता अजय देवगन ने तब इस मामले को लेकर भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) का दरवाजा खटखटाया था। उनका आरोप था कि YRF अपनी बड़ी प्रोडक्शन कंपनी की हैसियत का गलत फायदा उठाकर ‘जब तक है जान’ के लिए ज़्यादा से ज़्यादा स्क्रीन बुक कर रही है, जिससे उनकी फ़िल्म के प्रदर्शन पर असर पड़ सकता था। अजय देवगन ने स्पष्ट किया था कि उन्होंने यह कदम यश चोपड़ा के दुखद निधन से पहले उठाया था और वह सिर्फ़ एक निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा चाहते थे।
अजय देवगन ने खुद तब कहा था, “मैंने यह शिकायत यश चोपड़ा जी के गुज़रने से काफी पहले ही दर्ज की थी। जब यह सब हुआ, तो मुझे लगा कि लोग मुझे गलत समझेंगे और मुझे विलेन मानेंगे। लेकिन मैं शिकायत वापस नहीं ले सकता था, यह कोई आम कोर्ट का मामला नहीं था।”
उन्होंने दिवंगत निर्देशक यश चोपड़ा के प्रति अपना गहरा सम्मान भी जताया था। “मैं यश जी की उतनी ही इज्जत करता था जितनी कोई और करता है। हम सब उनकी फिल्में देखकर बड़े हुए हैं।”
देवगन का मुख्य मुद्दा यह था कि YRF कथित तौर पर सिनेमा हॉल मालिकों पर दबाव बना रही थी ताकि ‘जब तक है जान’ को ज्यादा प्राथमिकता मिले, जबकि उनकी फिल्म ‘सन ऑफ़ सरदार’ को भी उसी दिन रिलीज़ होना था। अजय देवगन का तर्क था कि वह किसी फ़िल्म को रोकने की कोशिश नहीं कर रहे, बल्कि सिर्फ़ अपने हक और निष्पक्ष व्यवहार की मांग कर रहे हैं।
“मैं अपने हक के लिए खड़ा हुआ हूँ। मेरी मांग है कि हमें भी बराबरी का मौका मिले, न कि किसी को रोका जाए या किसी से हर्जाना माँगा जाए।” उन्होंने यह भी कहा था कि वह भविष्य में किसी से भी कोई शिकायत नहीं रखेंगे यदि यह मामला सुलझ जाता है।
**शाहरुख़ ख़ान का इस क्लैश पर क्या था नज़रिया?**
वहीं, ‘जब तक है जान’ के मुख्य अभिनेता शाहरुख़ ख़ान ने इस पूरे विवाद को “छोटी बात” और “अजीब” बताया था। उनका मानना था कि फ़िल्म इंडस्ट्री में किसी का एकाधिकार नहीं है और यह एक खुला बाज़ार है, जहाँ सभी को अपनी फ़िल्में रिलीज़ करने का हक़ है।
शाहरुख़ ख़ान ने तब कहा था, “मुझे लगता है कि यह सब बहुत छोटा है। यह बिल्कुल भी ठीक नहीं है। मुझे समझ नहीं आता कि इसका समाधान कैसे निकलेगा। क्या कोई मुझे अपनी फ़िल्म रिलीज़ करने से रोकेगा?”
बावजूद इसके, SRK दोनों फ़िल्मों की कामयाबी के लिए दुआ कर रहे थे। “फ़िल्में तो रिलीज़ हो रही हैं, हम दोनों एक-दूसरे के लिए प्रार्थना करते हैं। मुझे विश्वास है कि दोनों फ़िल्में दर्शकों को पसंद आएंगी और सफल होंगी।”
