लोकप्रिय अभिनेता पंकज धीर, जो ‘महाभारत’ धारावाहिक में कर्ण की भूमिका के लिए सबसे ज्यादा जाने जाते थे, का बुधवार को निधन हो गया। 68 वर्ष की आयु में उन्होंने अपनी अंतिम सांस ली। यह दुखद है कि अभिनेता एक लंबे समय से कैंसर से पीड़ित थे और हाल ही में उनकी बीमारी फिर से गंभीर हो गई थी। इस बीमारी से लड़ने के लिए उन्होंने एक महत्वपूर्ण सर्जरी भी कराई थी, परंतु 15 अक्टूबर 2025 को बीमारी के आगे वे हार गए।
पंकज धीर ने भारतीय टेलीविजन पर कई यादगार किरदार निभाए, जिनमें ‘चंद्रकांता’, ‘द ग्रेट मराठा’, ‘युग’ और ‘बहू रानी’ जैसे धारावाहिक शामिल हैं। फिल्मों में भी उन्होंने अपनी छाप छोड़ी, जैसे ‘सड़क’, ‘सोल्जर’ और ‘बादशाह’। उनके अचानक चले जाने से मनोरंजन जगत में शोक की लहर है। सिने एंड टीवी आर्टिस्ट्स एसोसिएशन (CINTAA) ने भी उनके निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है और बताया कि उनका अंतिम संस्कार मुंबई में संपन्न हुआ।
**कैंसर रिलैप्स: बचने के उपाय और विशेषज्ञ की सलाह**
कैंसर का इलाज कराने के बाद भी उसका दोबारा उभरना (रिलैप्स) रोगियों के लिए एक बड़ी चिंता का विषय होता है। डॉ. मनीष जैन, जो रूबी हॉल क्लिनिक, पुणे में मेडिकल ऑन्कोलॉजी के निदेशक हैं, बताते हैं, “कैंसर रिलैप्स एक जटिल स्थिति है। कभी-कभी, उपचार के बाद भी कुछ कैंसर कोशिकाएं शरीर में छिपी रह सकती हैं और बाद में सक्रिय होकर समस्या बढ़ा सकती हैं।” उन्होंने शुरुआती लक्षणों को पहचानने के महत्व पर बल दिया। ऐसे लक्षणों में लगातार बनी रहने वाली थकान, अचानक वजन घटना, उपचारित स्थान पर नए दर्द या सूजन का अनुभव होना, लगातार खांसी, सांस फूलना, भूख में कमी, या पहले के लक्षण फिर से प्रकट होना शामिल हो सकते हैं। डॉ. जैन सलाह देते हैं कि किसी भी ऐसे असामान्य बदलाव को तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए।
कैंसर के रिलैप्स को रोकने या उसे प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने के लिए नियमित चिकित्सा जांच, जैसे कि समय-समय पर होने वाले स्कैन और ब्लड टेस्ट, बहुत आवश्यक हैं। इससे बीमारी के लौटने पर शुरुआत में ही पता लगाया जा सकता है, जब उपचार अधिक सफल होने की संभावना होती है। इसके अतिरिक्त, एक स्वस्थ जीवनशैली, जैसे पौष्टिक भोजन, नियमित व्यायाम, धूम्रपान और मद्यपान से परहेज, और तनाव प्रबंधन, शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करता है। मानसिक रूप से मजबूत रहना भी महत्वपूर्ण है। बीमारी के दोबारा होने के डर को सकारात्मकता, सामाजिक समर्थन और जीवन के प्रति उत्साह बनाए रखकर कम किया जा सकता है। आज की चिकित्सा प्रगति के साथ, कैंसर रिलैप्स के मामलों में भी प्रभावी प्रबंधन संभव है।