भोजपुरी सिनेमा और मराठी सिनेमा दोनों में काम कर चुकीं अभिनेत्री स्मृति सिन्हा ने दोनों फिल्म इंडस्ट्री के अनुभवों को साझा किया। स्मृति ने बताया कि भोजपुरी सिनेमा में काम करने का अनुभव मराठी सिनेमा से अलग है। स्मृति ने अपने करियर की शुरुआत हिंदी टीवी सीरियल से की थी और अब भोजपुरी के साथ-साथ मराठी फिल्मों में भी सक्रिय हैं।
एक इंटरव्यू में स्मृति से पूछा गया कि मराठी फिल्मों में काम करने का अनुभव कैसा रहा, तो उन्होंने बताया कि मराठी फिल्मों में पूरी कास्ट को फिल्म के शुरू से लेकर अंत तक महत्व दिया जाता है, जबकि भोजपुरी में ऐसा नहीं होता। प्रमोशन के समय अक्सर मुख्य कलाकार ही नजर आते हैं।
स्मृति ने आगे कहा कि मराठी सिनेमा में कलाकार मराठी भाषा बोलने में हिचकिचाते नहीं हैं, जबकि भोजपुरी फिल्मों के प्रमोशन में अक्सर हिंदी या अंग्रेजी को प्राथमिकता दी जाती है। उन्होंने बताया कि मराठी सिनेमा की दर्शक संख्या कम होने के बावजूद, वहां की फिल्मों को दर्शक देखते हैं, जिसके कारण उनकी फिल्में रीमेक भी होती हैं, लेकिन भोजपुरी के साथ ऐसा नहीं है। स्मृति का मानना है कि अगर भोजपुरी सिनेमा को यूपी-बिहार की 70% जनता भी देखे, तो यह दूसरी बड़ी फिल्म इंडस्ट्री को टक्कर दे सकता है।
स्मृति ने यह भी कहा कि मराठी सिनेमा में एकता पर जोर दिया जाता है, जबकि भोजपुरी में ऐसा नहीं है। मराठी फिल्मों की शूटिंग से पहले वर्कशॉप होती हैं, जिसमें नए और पुराने कलाकार दोनों भाग लेते हैं, जबकि भोजपुरी में कुछ फिल्मों के बाद ही कलाकार खुद को स्टार समझने लगते हैं। स्मृति का मानना है कि भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री को आगे बढ़ाने के लिए और प्रयास करने की आवश्यकता है।