छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में सोमवार को सुरक्षाबलों के लिए एक बड़ी सफलता हाथ लगी, जब 15 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर दिया। इस समूह में ऐसे नक्सली शामिल थे जिन पर कुल 48 लाख रुपये का भारी इनाम घोषित था। आत्मसमर्पण करने वालों में पांच महिलाएं भी थीं, जो पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (PLGA) से जुड़ी थीं।
सुकमा के पुलिस अधीक्षक किरण चव्हाण ने बताया कि आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों ने पुलिस और सीआरपीएफ के वरिष्ठ अधिकारियों के समक्ष हाजिरी दी। पूर्व नक्सलियों ने बताया कि उन्होंने छत्तीसगढ़ सरकार की ‘नियाद नेलनार’ जैसी विकास परियोजनाओं और ‘पूना मरघम’ नामक नई पुनर्वास नीति से प्रेरणा लेकर यह कदम उठाया है। ये योजनाएं दूरदराज के इलाकों में विकास लाने और नक्सलियों को मुख्यधारा में जोड़ने में मददगार साबित हो रही हैं।
आत्मसमर्पण करने वाले चार प्रमुख नक्सलियों में मदवी सन्ना (28) और उनकी पत्नी सोडी हिडमे (25), तथा सूर्यम उर्फ रववा सोमा (30) और उनकी पत्नी मीना उर्फ मदवी भीम (28) शामिल हैं। इन चारों पर 8-8 लाख रुपये का इनाम था। इसके अलावा, 5-5 लाख रुपये के इनाम वाले दो एरिया कमेटी सदस्य, 3 लाख रुपये के इनाम वाला एक नक्सली, और 2 लाख व 1 लाख रुपये के इनाम वाले दो अन्य नक्सलियों ने भी आत्मसमर्पण किया।
पुनर्वास की प्रक्रिया के तहत, आत्मसमर्पण करने वाले प्रत्येक नक्सली को तत्काल 50,000 रुपये की आर्थिक सहायता दी गई है। सरकार इन लोगों को समाज में वापस लाने के लिए प्रतिबद्ध है और इसके लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं।
आंकड़ों के अनुसार, पिछले 23 महीनों में छत्तीसगढ़ में 2,150 से अधिक नक्सलियों ने सरकारी नीतियों के चलते आत्मसमर्पण किया है। इसमें कई बड़े नक्सली नेताओं के नाम भी शामिल हैं, जो राज्य में नक्सलवाद के खिलाफ चल रही मुहिम की सफलता को दर्शाते हैं।
गौरतलब है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में घोषणा की है कि भारत 31 मार्च 2026 तक नक्सलवाद का पूर्ण उन्मूलन कर देगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि नक्सलवाद को वैचारिक, कानूनी और आर्थिक समर्थन देने वालों के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
