छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले से नक्सलवाद के विरुद्ध एक सकारात्मक खबर सामने आई है, जहाँ बुधवार को कुल 51 नक्सलियों ने सुरक्षा बलों के समक्ष आत्मसमर्पण किया। इस समूह में 20 नक्सली ऐसे थे जिन पर सामूहिक रूप से 66 लाख रुपये का इनाम था, जो उनकी वरिष्ठता और गतिविधियों का संकेत देता है। इस आत्मसमर्पण से क्षेत्र में शांति स्थापना की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रगति हुई है।
बीजापुर पुलिस अधीक्षक, जितेंद्र कुमार यादव ने बताया कि इन माओवादियों ने छत्तीसगढ़ सरकार की प्रभावी पुनर्वास योजनाओं और नक्सल प्रभावित इलाकों में हो रहे विकास कार्यों से प्रेरित होकर हथियार छोड़े। उन्होंने जोर देकर कहा, “यह आत्मसमर्पण दिखाता है कि हमारा दृष्टिकोण, जो शांति, संवाद और विकास पर केंद्रित है, नक्सलवाद के उन्मूलन में सफल हो रहा है।”
आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली ‘पूनो मार्गेम – पुनर्वास से पुनर्जीवन’ नामक विशेष कार्यक्रम के तहत मुख्यधारा में लौटे हैं। इस योजना को बस्तर रेंज पुलिस ने नक्सलियों को हिंसा छोड़कर समाज में पुनः एकीकृत करने के उद्देश्य से शुरू किया है।
प्रमुख माओवादी इकाइयों के सदस्य भी शामिल
आत्मसमर्पण करने वालों में पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (PLGA) के बटालियन नंबर 01 और विभिन्न कंपनियों के सदस्य, एरिया समितियों के सदस्य, प्लाटून कमांडर, लोकल आर्गेनाइजेशन स्क्वाड (LOS) के सदस्य, मिलिशिया प्लाटून कमांडर और सदस्य, तथा कई निचले स्तर के ऑपरेटिव शामिल थे। इन आत्मसमर्पणों के परिणामस्वरूप, बीजापुर और आसपास के जिलों में माओवादी गतिविधियों और उनके संगठनात्मक ढांचे पर गंभीर प्रभाव पड़ने की संभावना है।
‘पूनो मार्गेम’ का बढ़ता प्रभाव
बस्तर रेंज पुलिस की ‘पूनो मार्गेम’ पहल का प्रभाव स्पष्ट रूप से दिख रहा है। पिछले कुछ समय में अनेक नक्सलियों ने बेहतर जीवन की तलाश में और सरकारी पुनर्वास नीतियों पर विश्वास जताते हुए हिंसा का मार्ग त्याग दिया है। पुलिस अधीक्षक यादव ने वर्ष 2024 में अब तक की उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए कहा कि केवल बीजापुर में 650 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है, जबकि 196 माओवादियों को मुठभेड़ों में मारा गया और 986 को गिरफ्तार किया गया है। यह आंकड़े इस क्षेत्र में नक्सलवाद के विरुद्ध चलाए जा रहे अभियानों की सफलता को दर्शाते हैं।
