शारदीय नवरात्रि का पहला दिन 2025: आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को शारदीय नवरात्रि मनाई जाती है, और आज से यह पावन पर्व शुरू हो गया है। इन नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। पहला दिन मां शैलपुत्री को समर्पित है, जो हिमालय की बेटी और मां दुर्गा का पहला स्वरूप हैं। ‘शैल’ का अर्थ है हिमालय, और हिमालय की पुत्री होने के कारण पार्वती को शैलपुत्री के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि नवरात्रि के पहले दिन घट स्थापना के बाद मां शैलपुत्री की पूजा करने से विशेष फल मिलता है।
घटस्थापना का शुभ समय
घटस्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 06:08 से सुबह 08:06 बजे तक है। अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:49 से दोपहर 12:38 तक रहेगा।
चढ़ावा
मां शैलपुत्री को सफेद रंग प्रिय है, इसलिए आज सफेद वस्त्र पहनना शुभ होता है। पूजा में रोली, अक्षत, सिंदूर, धूप, दीप और पुष्प अर्पित करें। लाल गुड़हल या सफेद फूल भी चढ़ाएं।
मंत्र
सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोस्तुते।।
या देवी सर्वभूतेषु शैलपुत्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
मां शैलपुत्री की आरती
शैलपुत्री मां बैल पर सवार, करें देवता जय जयकार।
शिव शंकर की प्रिय भवानी, तेरी महिमा किसी ने ना जानी।
पार्वती तू उमा कहलावे, जो तुझे सिमरे सो सुख पावे।
ऋद्धि-सिद्धि परवान करे तू, दया करे धनवान करे तू।
सोमवार को शिव संग प्यारी, आरती तेरी जिसने उतारी।
उसकी सगरी आस पुजा दो, सगरे दुख तकलीफ मिला दो।
घी का सुंदर दीप जला के, गोला गरी का भोग लगा के।
श्रद्धा भाव से मंत्र गाएं, प्रेम सहित फिर शीश झुकाएं।
जय गिरिराज किशोरी अम्बे, शिव मुख चंद्र चकोरी अम्बे।
मनोकामना पूर्ण कर दो, भक्त सदा सुख संपत्ति भर दो।
जोर से बोलो जय माता दी, सारे बोले जय माता दी।