छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक दंपत्ति की याचिका खारिज कर दी जो तलाक के बाद फिर से साथ रहना चाहते थे। कोर्ट ने इस फैसले में सबूतों और कानूनी प्रक्रियाओं को महत्व दिया, भावनाओं को नहीं।
यह मामला छत्तीसगढ़ का है। दंपत्ति ने तलाक के बाद रिश्तों में सुधार के बाद फैमली कोर्ट के आदेश को रद्द करने और साथ रहने की अनुमति देने की गुजारिश की थी। हाईकोर्ट ने पाया कि तलाक दोनों की सहमति से हुआ था, इसलिए अब अपील की कोई गुंजाइश नहीं है।
दंपत्ति बिलासपुर के रहने वाले थे। शादी के कुछ दिनों बाद उनके बीच अनबन हो गई थी, जिसके बाद उन्होंने तलाक लेने का फैसला किया। फैमिली कोर्ट ने उनकी सहमति से तलाक मंजूर कर लिया।
तलाक के बाद, दोनों फिर से करीब आए और साथ समय बिताने लगे। उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर फैमिली कोर्ट के फैसले को चुनौती दी और साथ रहने की इच्छा जताई। उन्होंने कोर्ट में तस्वीरें भी पेश कीं, लेकिन हाईकोर्ट ने उनकी याचिका को खारिज कर दिया, क्योंकि तलाक दोनों की सहमति से हुआ था।