भारत की आत्मा उसकी विविधता में बसती है और यही हमारी सबसे बड़ी ताकत है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रेरणा से प्रारंभ हुआ ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ अभियान इसी एकता और सांस्कृतिक समृद्धि का सशक्त प्रतीक है।
राजभवन में गुरूवार को 9 राज्यों का स्थापना दिवस समारोह मनाया गया। राज्यपाल श्री रमेन डेका ने बिहार, गुजरात, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, गोवा, तेलंगाना, मिजोरम, सिक्किम और हिमाचल प्रदेश के स्थापना दिवस के अवसर पर कहा कि यह पहल केवल सांस्कृतिक आदान-प्रदान नहीं, बल्कि भावनात्मक एकीकरण का माध्यम है।
केन्द्र सरकार के “एक भारत-श्रेष्ठ भारत” कार्यक्रम के तहत विविधता में एकता की भावना को बढ़ावा देने के लिए सभी राज्य एक दूसरे का स्थापना दिवस मनाते है। इसी कड़ी में आज राजभवन के छत्तीसगढ़ मण्डपम में इन राज्यों का स्थापना दिवस हर्षोल्लास के साथ मनाया गया।
इस अवसर पर राज्यपाल श्री डेका ने कहा कि भाषाओं, वेशभूषा, खान-पान, कला और परंपराओं में भिन्नता होने के बावजूद हमारी आत्मा एक है। यही विविधता भारत को विश्व में अद्वितीय बनाती है। आज जिन राज्यों का स्थापना दिवस मनाया जा रहा है, वे भारत की इस समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को और अधिक उजागर करते हैं।
राज्यपाल ने बिहार को ज्ञान की भूमि, गुजरात को व्यापार और उद्योग का अग्रणी, महाराष्ट्र को वीरता व संत परंपरा का प्रतीक, पश्चिम बंगाल को साहित्य और विज्ञान का केंद्र बताया। उन्होंने गोवा को पर्यटन की राजधानी, तेलंगाना को तकनीकी विकास का हब, मिजोरम व सिक्किम को पूर्वाेत्तर की शान और हिमाचल प्रदेश को देवभूमि और प्राकृतिक सौंदर्य का प्रतीक बताया।
राज्यपाल ने युवाओं से आह्वान किया कि वे इस अभियान से जुड़ें, अन्य राज्यों की संस्कृति को समझें और राष्ट्र निर्माण में योगदान दें। अंत में उन्होंने सभी राज्यों को स्थापना दिवस की बधाई देते हुए कहा कि भारत की एकता और अखंडता ही हमें आत्मनिर्भर और सशक्त राष्ट्र बनाने की दिशा में प्रेरित करती है।
कार्यक्रम को मिजोरम राज्य की प्रतिनिधि कुमारी बेलिंदा रियांग, बिहार के प्रतिनिधि श्री निमेश कुमार झा, गुजरात के श्री राजेश चौहान, महाराष्ट्र के श्री अजय मधुकर काले, गोवा के श्री सेवियो डिकोस्टा, तेलंगाना की श्रीमती गुरिजला उषा, पश्चिम बंगाल के प्रतिनिधि श्री दीप्तेश चटर्जी और हिमाचल प्रदेश के प्रतिनिधि श्री पवान सिंह ने अपने राज्यों के विशेषताओं, परंपरा, संस्कृति पर प्रकाश डाला और कहा कि छत्तीसगढ़ को वे अपना घर मानते हैं।
कार्यक्रम में विभिन्न विश्वविद्यालयों के छात्र-छात्राओं ने सभी राज्यों की संस्कृति एवं लोक परंपरा आधारित संास्कृतिक कार्यक्रमों की रंगारंग प्रस्तुति दी। पश्चिम बंगाल के लोक-नृत्य घिंची, गुजरात के गरबा, महाराष्ट्र के लावणी सहित बिहार, सिक्किम, हिमाचल प्रदेश, गोवा, तेलंगाना एवं मिजोरम के लोक नृत्यों ने अतिथियों का मन मोह लिया। वनवासी आश्रम के बच्चों ने भी सामूहिक गीत का प्रदर्शन किया।
विभिन्न राज्यों के प्रतिनिधियों को राज्यपाल ने राजकीय गमछा और स्मृति चिन्ह भेंट किया। उन्होंने भी राज्यपाल को अपने राज्य की ओर से स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया।
कार्यक्रम में विधायक श्री पुरंदर मिश्रा, रायपुर की महापौर श्रीमती मीनल चौबे, राज्यपाल के सचिव डॉ. सी. आर प्रसन्ना सहित अन्य अधिकारी एवं इन सभी राज्यों के युवा, महिलाएं एवं गणमान्य नागरिक बड़ी संख्या में उपस्थित रहे。