रायपुर, छत्तीसगढ़ में एक चौंकाने वाली घटना में, एक वरिष्ठ प्रोफेसर साइबर ठगी का शिकार हो गए और 88 लाख रुपये गंवा बैठे। यह घटना शासकीय इंजीनियर कॉलेज के प्रोफेसर के साथ हुई। ठगों ने उन्हें डिजिटल गिरफ्तारी का डर दिखाया और मानव तस्करी और मनी लॉन्ड्रिंग जैसे गंभीर आरोपों में फंसाने की धमकी दी। पुलिस ने बताया कि प्रोफेसर को 26 दिनों के भीतर पैसे देने पड़े।
पुलिस जांच में पता चला कि साइबर अपराधियों ने फर्जी कॉल और वीडियो कॉल के माध्यम से प्रोफेसर को निशाना बनाया। ठगों ने खुद को बेंगलुरु पुलिस का अधिकारी बताया और प्रोफेसर को उनके आधार कार्ड के दुरुपयोग का झूठा आरोप लगाया। उन्हें डिजिटल गिरफ्तारी का डर दिखाकर, ठगों ने उनके बैंक खातों से बड़ी रकम निकाल ली। पुलिस ने बताया कि प्रोफेसर ने पहले इस घटना के बारे में पुलिस को जानकारी नहीं दी थी, लेकिन बाद में उन्होंने शिकायत दर्ज कराई।
पुलिस ने बताया कि प्रोफेसर संतोष कर्मकार को 20 जून को साइबर ठगों ने फोन और व्हाट्सएप कॉल के माध्यम से निशाना बनाया। पुलिस ने मामले में भारतीय दंड संहिता और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया है और ठगों की तलाश जारी है। छत्तीसगढ़ सरकार ने साइबर अपराधों से निपटने के लिए विशेष साइबर सेल का गठन किया है, जो संदिग्ध खातों को फ्रीज करने और अपराधियों को पकड़ने का काम कर रही है। पुलिस ने लोगों से अनजान कॉल्स पर भरोसा न करने और 1930 पर शिकायत दर्ज करने की अपील की है। पिछले 18 महीनों में छत्तीसगढ़ में 107 करोड़ रुपये से अधिक की साइबर ठगी के मामले सामने आए हैं।