सावन का महीना भगवान शिव के भक्तों के लिए सबसे शुभ और पवित्र समय होता है। पूरे माह में शिवलिंग पर जल चढ़ाना, व्रत रखना और मंत्रों का जाप करने से विशेष फल प्राप्त होते हैं। वर्ष 2025 में, सावन की शुरुआत 11 जुलाई से हो रही है। इस दौरान शिव भक्तों को चार सावन सोमवार व्रत करने का शुभ अवसर मिलेगा।
ऐसा माना जाता है कि जो भक्त पूरी श्रद्धा से इन व्रतों का पालन करते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। विशेषकर, कुंवारी लड़कियों के लिए यह व्रत अत्यंत शुभ माने जाते हैं, क्योंकि इससे उन्हें योग्य वर की प्राप्ति होती है। अब सवाल है कि इस साल सावन का पहला सोमवार कब है, पूजा कैसे करें और शुभ समय क्या है, तो आइए जानते हैं।
**पहला व्रत कब है और इसका महत्व क्या है?**
श्रावण मास भगवान शिव का प्रिय महीना माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस पूरे महीने भगवान शिव पृथ्वी पर वास करते हैं और अपने भक्तों पर कृपा बरसाते हैं। इसलिए, श्रावण के सोमवार को व्रत और पूजा करना विशेष फलदायी माना जाता है। इस बार सावन का पहला सोमवार, यानि ‘प्रथम श्रावणी सोमवार’, 14 जुलाई 2025 को पड़ रहा है। इस दिन, यदि कोई व्यक्ति पूरी श्रद्धा और भक्ति से भगवान शिव की पूजा करता है, तो भगवान शिव उसकी हर इच्छा पूरी करते हैं। यह दिन विशेष रूप से उन लोगों के लिए शुभ होता है जो जीवन में किसी विशेष लक्ष्य को प्राप्त करना चाहते हैं या समस्याओं से मुक्ति पाना चाहते हैं। यह माना जाता है कि सावन का पहला सोमवार पूरे महीने की साधना का शुभ आरंभ होता है, इसलिए इस दिन की गई पूजा का महत्व कई गुना बढ़ जाता है।
**पहले सोमवार की पूजा के लिए शुभ समय**
* ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 4:16 बजे से 5:04 बजे तक
* अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12:05 बजे से 12:58 बजे तक
* अमृत काल: दोपहर 12:01 बजे से 1:39 बजे तक
* प्रदोष काल: शाम 5:38 बजे से 7:22 बजे तक
**सावन सोमवार की पूजा विधि**
1. सावन सोमवार के दिन, ब्रह्म मुहूर्त यानी सूर्योदय से पहले उठें। स्नान करके शरीर और मन को शुद्ध करें। स्वच्छ और हल्के रंग के वस्त्र पहनें, विशेषकर सफेद या पीले रंग को शुभ माना जाता है। अपने घर के पूजा स्थान की सफाई करें और वहां गंगाजल या गौमूत्र का छिड़काव करें।
2. भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की मूर्ति या चित्र पूजा स्थल पर रखें। पूजा की सभी सामग्री, जैसे फूल, अक्षत (चावल), जल, पंचामृत, बेलपत्र, धतूरा, भस्म, फल और मिठाई आदि, एक थाली में सजा लें। दीपक और अगरबत्ती भी तैयार रखें।
3. पूजा शुरू करने से पहले, दाहिने हाथ में जल, फूल और अक्षत लेकर भगवान शिव का ध्यान करें और व्रत का संकल्प लें।
4. अब शिवलिंग का अभिषेक करें। पहले गंगाजल से स्नान कराएं, फिर दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से बना पंचामृत अर्पित करें। फिर से गंगाजल से स्नान कराएं। इसके बाद बेलपत्र, धतूरा, भांग, चंदन और फूल अर्पित करें। भगवान गणेश और माता पार्वती की भी पूजा करें।
5. ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें। चाहें तो महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें। शिव चालीसा, रुद्राष्टक या शिव पुराण का पाठ करना भी अत्यंत पुण्यकारी होता है। धूप-दीप दिखाकर शिवजी की आरती करें।
6. भगवान को फल, मिठाई या जो भी आप बना सकते हैं, अर्पित करें। आरती के बाद सभी परिजनों में प्रसाद बांटें।
7. यदि आपने निर्जल व्रत रखा है, तो अगले दिन सूर्योदय के बाद व्रत का पारण करें। उस दिन सात्विक भोजन करें और जरूरतमंदों को भोजन या वस्त्र दान करें।