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    Home»Chhattisgarh»ये प्याज़ नहीं तो और क्या है? बच्चों को बनाने वाली जाने वाली सोयाबीन बड़ी में उगल कीट और गुन, 285 स्काल में हो रही राक्षस, लगभग सभी जगह यही हाल
    Chhattisgarh

    ये प्याज़ नहीं तो और क्या है? बच्चों को बनाने वाली जाने वाली सोयाबीन बड़ी में उगल कीट और गुन, 285 स्काल में हो रही राक्षस, लगभग सभी जगह यही हाल

    Indian SamacharBy Indian SamacharMarch 23, 20244 Mins Read
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    प्राथमिक पात्र, गरियाबंद। फ़ारिज प्राइमरी और मिडिल स्कूल में मीटिंग वाले मध्याह्नभोजन में बच्चों को बेकरी जा रही सोयाबीन बड़ी में कॉन्स्टेंट कीनड (इल्ली, गुन) की याचिका सामने आ रही है। अध्ययन के दिनों में आत्मानंद बालक प्राथमिक और माध्यमिक शाला हिंदी माध्यम में मिलने वाले मध्यायन भोजन में मिलने वाली सोयाबीन बड़ी में कीड़े (इल्ली, गुन) निकले थे। लिखित याचिका फोटो जिसमें खाना बनाने वाली स्व सहायता समूह की महिलाओं ने ब्लॉक शिक्षा अधिकारी से की शामिल है।

    शिकायत बैठक अधिकारी जांच करने हेतु। जांच के दौरान जब अधिकारियों के सामने आया तो सोयाबीन बड़ी के सील पैक पैकेट में उसे गर्म पानी में चॉकलेट के टुकड़े दिखाए गए, जिसमें छोटी-छोटी बीमारियाँ और दूसरे बच्चों में से घुटन निकाला गया। इसके अलावा तीसरा पैक ठीक निकला. जिसके बाद जिला सोर्सेज समन्वयक केएसी नायक ने पूरे मामले की जांच कर रिपोर्ट को बढ़ावा देने की बात कही। अंग्रेजी माध्यम में आत्मानंद इंग्लिश स्कूल और डाकबंगला स्कूल में भी कुछ दिनों के लिए अंतिम लक्ष्य तो बुरे निकले थे। जिसके बाद उन्होंने सोयबड़ी खिलाना बंद कर दिया। ऐसा नहीं है कि यह याचिका दो-तीन स्कूलों में ही है। लगभग हर स्कूल से लेकर सुपरमार्केट तक की शिकायत रहती है।

    बाजार मूल्य निर्धारण से मुख्य उत्पाद सोयाबड़ी है

    छत्तीसगढ़ राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम द्वारा प्रदत्त सोयाबीन बिग मार्केट दर से अधिक दर पर उपलब्ध कराया जाता है। बाजार में अच्छी क्वॉलिटी की सोयाबीन बड़ी 80 से 90 रुपये किलो में मिल जाती है। वहीं, स्कूल में आने वाली सोयाबीन बड़ी की कीमत 131 रुपये रिजॉर्ट बताई गई है। जो खाना बनाने वाले स्व-सहायता समूह के लिए खाता है। 1 साल की अवधि में किताब लिखी होती है। लेकिन मैन्युफैक्चरिंग की तारीख दूसरी जगह लिखी होने के कारण लोगों को दिखाई नहीं देती है।

    एक महीने में स्टॉक ख़त्म होने का दबाव

    सोयाबीन बड़ी का स्टॉक किसी महीने दूसरे महीने नहीं आता है। उसे इस महीने ख़त्म करने का दबाव बना हुआ है। जैसे जनवरी महीने में सोयाबीन की सब्जी नहीं मिलती और फरवरी महीने में मिलती है तो जनवरी और फरवरी दोनों महीनों में बच्चों को खाने का शौक रहता है। सप्ताह में दो दिन के बदले बच्चों को 3 से 4 दिन में सोयाबीन की बड़ी खिलाई जाती है। अधिकांश किसानों में शिकायत मिली है कि सोयाबीन के बच्चे को बड़ा खाना पसंद नहीं है।

    स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़ी जरूरत है पुनर्खरीद

    गरियाबंद स्थित जिला अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञ से जब इस बारे में जानकारी ली गई तो उन्होंने बताया कि बच्चों को भी पागलपन एक निश्चित मात्रा में मिलता है। यदि उन्हें बड़े पैमाने पर रासायनिक खाद्य पदार्थों की आवश्यकता हो तो वह भी उनके शरीर को नुकसान पहुँचा सकते हैं।

    285 चिकित्सकों में होता है सोयाबीन बड़ी की पुरालेख

    गरियाबंद विकासखंड के अंतर्गत 192 प्राथमिक विद्यालय हैं। जिनमें 8432 बच्चे हैं। ऐसे ही 93 मिडिल स्कूल हैं. जिनमें 4,959 बच्चे हैं। शासन द्वारा जारी की गई सुपरमार्केट के प्राइमरी स्कूल के बच्चों को 10 ग्राम और मिडिल स्कूल के बच्चों को 15 ग्राम के हिसाब से बड़ी सब्जी खिलाना है। लेकिन बड़ी की क्वॉलिटी को देखते हुए ज्यादातर बच्चे इसे खाने से काम में लेते हैं।

    इस मामले में रिचर्ड एग्रल ने कहा कि मामला मेरे घर में आया है। इसकी जांच के लिए जिला शिक्षा अधिकारी एवं संकुल स्रोत समन्वयक को दिया गया है। यदि इस प्रकार की शिकायत सही पाई जाती है तो जिस संस्था द्वारा बड़ी की धारा की जाती है उस पर भी कार्रवाई की जाएगी। केएल नायक संकुल स्रोत समन्वयक ने कहा कि अभी आत्मानंद हिंदी मीडियम स्कूल में सोयाबीन बड़ी की जांच के लिए आया हूं। ब्लॉक शिक्षा अधिकारी और स्कूल के संकाय से भी जांच के लिए कहा गया है। जांच के बाद जो भी रिपोर्ट करेगा उसके आधार पर कार्रवाई की जाएगी।

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