मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने रविवार को पटना में आयोजित एक कार्यक्रम में घोषणा की कि उनकी सरकार भगवान श्रीकृष्ण की लीला स्थलों को ‘श्रीकृष्ण पाथेय तीर्थ’ के रूप में विकसित करेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण सच्चे अर्थों में लोकतांत्रिक मूल्यों के पक्षधर थे और उन्होंने हमेशा सभी के विचारों का सम्मान किया।
उन्होंने बताया कि उनकी सरकार भगवान श्रीकृष्ण के आदर्शों पर चलते हुए, उनकी स्मृतियों को संरक्षित करने और उन्हें चिरस्थाई बनाने के लिए प्रयासरत है। इस योजना के तहत, मध्य प्रदेश और अन्य राज्यों में स्थित श्रीकृष्ण से जुड़े महत्वपूर्ण स्थलों को चिह्नित किया जाएगा और उन्हें तीर्थ स्थलों के रूप में विकसित किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण यदुकुल के गौरव थे और सभी कलाओं में माहिर थे। उन्होंने बचपन में ही कंस जैसे अत्याचारी राजा का वध कर लोकतंत्र की रक्षा की थी। उन्होंने यह भी बताया कि मध्य प्रदेश सरकार राज्य के सभी नगरीय निकायों में गीता भवन का निर्माण करेगी और श्रीकृष्ण के गुरु, सांदीपनि के नाम पर 300 से अधिक विद्यालयों की स्थापना की जाएगी, ताकि गुरुकुल शिक्षा पद्धति को बढ़ावा दिया जा सके।
मुख्यमंत्री ने बिहार के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि पटना और उज्जैन प्राचीन शहर हैं, जिन्होंने दुनिया को शांति, अहिंसा और सामाजिक सद्भाव का संदेश दिया है। उन्होंने कहा कि भारत की पहचान उसकी समृद्ध संस्कृति है और भगवान श्रीकृष्ण की भूमि पर हमें अपनी संस्कृति, मूल्यों और विचारों पर दृढ़ रहना चाहिए।
मुख्यमंत्री यादव ने बिहार के नागरिकों को मध्य प्रदेश आने का न्योता दिया और कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने मध्य प्रदेश में अपना बचपन बिताया था। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश के कण-कण में भगवान श्रीकृष्ण की स्मृतियां और लीलाएं विद्यमान हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि लोक कल्याणकारी राज्य का मुख्य उद्देश्य सभी का समग्र विकास है और उनकी सरकार इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है।