पटना के ताज सिटी सेंटर होटल में गुरुवार को जिलों के समग्र विकास पर एक महत्वपूर्ण राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन हुआ। इस सम्मेलन का आयोजन भारत सरकार के प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग (DARPG), बिहार प्रशासनिक सुधार मिशन सोसाइटी और बिहार सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग ने संयुक्त रूप से किया था। इस सम्मेलन में देश भर से आए 200 से अधिक प्रतिनिधियों – जिनमें जिलाधिकारी, नीति निर्माता, नवाचारकर्ता और विभिन्न संस्थानों के प्रमुख शामिल थे – ने भाग लिया।
सम्मेलन की शुरुआत दो तकनीकी सत्रों से हुई, जिनमें प्रधानमंत्री पुरस्कार से सम्मानित और नामांकित पहलों को प्रस्तुत किया गया। पहला सत्र पुनीत यादव, अपर सचिव, DARPG की अध्यक्षता में आयोजित किया गया, जिसमें UIDAI, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और आंध्र प्रदेश की डिजिटल प्रमाणीकरण, साइबर तहसील और GIS आधारित जल संरक्षण जैसी अभिनव योजनाओं पर चर्चा की गई।
दूसरे सत्र की अध्यक्षता सरिता चौहान, संयुक्त सचिव, DARPG ने की। इस सत्र में उत्तर प्रदेश और बिहार की नागरिक-केंद्रित पहलों पर प्रकाश डाला गया। वक्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि जिला प्रशासन केवल एक प्रशासनिक इकाई नहीं है, बल्कि यह शासन की धड़कन है, जहां योजनाओं का वास्तविक प्रभाव नागरिकों तक पहुंचता है।
उद्घाटन सत्र में केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह और बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने भाग लिया। डॉ. सिंह ने बिहार सरकार और उसके अधिकारियों की सराहना की और कहा कि राज्य की नवाचारी पहलें, विशेष रूप से शिकायत निवारण और डिजिटल परिवर्तन, पूरे देश के लिए एक मिसाल बन सकती हैं। उन्होंने जिलाधिकारियों की भूमिका को भारत की प्रशासनिक रीढ़ बताया और उनके सक्रिय योगदान की प्रशंसा की।
उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने बिहार में हो रहे बदलावों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि एक मरीन ड्राइव के सपने से शुरू होकर, आज हम तीन और मरीन ड्राइव बना रहे हैं। हमने सड़क निर्माण में बदलाव किए हैं। अब पटना से गया, दरभंगा और मुजफ्फरपुर की यात्रा कुछ ही घंटों में पूरी हो जाती है, जबकि पहले इसमें पूरा दिन लगता था। यही है नया बिहार—तेज़, समावेशी और भविष्य के लिए तैयार।
तीसरे सत्र में बिहार सरकार में नवाचार पर चर्चा हुई, जिसकी अध्यक्षता डॉ. बी. राजेन्दर, अपर मुख्य सचिव, सामान्य प्रशासन विभाग ने की। नालंदा, बेगूसराय और गया के जिलाधिकारियों ने जिला स्तर पर लागू की गई अभिनव योजनाओं को प्रस्तुत किया। डॉ. प्रतिमा, सचिव, विज्ञान एवं तकनीकी शिक्षा विभाग ने बिहार की शिकायत निवारण प्रणाली पर एक विस्तृत प्रस्तुति दी, जिसमें तकनीक और जमीनी समन्वय के माध्यम से नागरिकों की समस्याओं का समाधान करने पर जोर दिया गया।
जीविका के सीईओ ने महिला स्वयं सहायता समूहों की आर्थिक सशक्तिकरण की यात्रा साझा की, जबकि मगध प्रमंडल की आयुक्त डॉ. ए.एन. सफेना ने शासन में महिलाओं की भूमिका पर प्रकाश डाला।
डॉ. बी. राजेन्दर ने कहा कि जीविका दीदी से विधायक बनने तक की महिलाओं की यात्रा ने साबित कर दिया है कि बिहार की महिलाएं परिवर्तन की धुरी हैं। उन्होंने बिहार में इस परिवर्तन को संभव बनाने के लिए मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार के दूरदर्शी नेतृत्व की सराहना की।
सम्मेलन स्थल पर एक प्रदर्शनी भी आयोजित की गई, जिसमें पर्यटन, कला-संस्कृति, युवा, जीविका और उद्योग विभागों ने अपनी प्रमुख योजनाओं, हस्तशिल्प और सेवाओं का प्रदर्शन किया। एक विशेष VR शो के माध्यम से प्रतिभागियों ने नालंदा विश्वविद्यालय, महाबोधि मंदिर, विक्रमशिला और बिहार म्यूज़ियम जैसे ऐतिहासिक स्थलों की डिजिटल यात्रा का अनुभव लिया।
शाम को एक सांस्कृतिक कार्यक्रम हुआ, जिसमें प्रसिद्ध लोक गायिका मैथिली ठाकुर, शास्त्रीय और लोक नृत्य दल और बांसुरी वादक विष्णु थापा ने बिहार की सांस्कृतिक विरासत को जीवंत किया। सम्मेलन का समापन इस विश्वास के साथ हुआ कि जिला प्रशासन को मजबूत करके और राज्यों की सर्वोत्तम पहलों को साझा करके हम समावेशी और समग्र विकास के राष्ट्रीय लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं।