पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने कथित ‘जमीन के बदले नौकरी’ घोटाले से जुड़े मामले में CBI द्वारा दर्ज FIR को रद्द करने की मांग की है। इस मामले में दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई हुई, जहां उनके वकील कपिल सिब्बल ने दलीलें पेश कीं।
सिब्बल ने कोर्ट में कहा कि FIR दर्ज करने से पहले आवश्यक मंजूरी नहीं ली गई थी, जो भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (PC Act) के तहत जरूरी थी। उन्होंने कहा कि बिना मंजूरी के जांच शुरू करना अवैध है, क्योंकि उस समय लालू यादव रेल मंत्रालय का कार्यभार संभाल रहे थे।
कपिल सिब्बल ने अदालत को बताया कि लालू यादव पर आरोप है कि उन्होंने रेल मंत्री रहते हुए जमीन के बदले में उम्मीदवारों को ग्रुप डी की नौकरियां दीं। इसके अलावा, उन पर रेलवे अधिकारियों पर फर्जी दस्तावेजों के जरिए नियुक्तियां करने का दबाव डालने का भी आरोप है। सिब्बल ने कहा कि यदि उन्होंने कोई सिफारिश नहीं की, तो उन पर मुकदमा क्यों चल रहा है? उन्होंने जोर देकर कहा कि सीबीआई को जांच शुरू करने से पहले मंजूरी लेनी चाहिए थी।
कपिल सिब्बल ने कोर्ट को बताया कि वे सिर्फ FIR को रद्द करवाना चाहते हैं और जांच को आगे नहीं बढ़ने देना चाहते। कोर्ट ने इस बात पर ध्यान दिया कि मंजूरी न होने का असर केवल PC एक्ट के तहत आने वाले अपराधों पर पड़ेगा, IPC के मामलों पर नहीं। मामले की अगली सुनवाई 25 सितंबर को होगी।