बेगूसराय जिले, बिहार में नवनिर्मित औंटा-सिमरिया 6-लेन गंगा ब्रिज क्षेत्र के लोगों में खुशी ला रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जल्द ही इस पुल का निरीक्षण करेंगे। यह आधुनिक पुल उत्तर और दक्षिण बिहार के बीच यात्रा को आसान बनाएगा। यह पुल मोकामा के औंटा और बेगूसराय के सिमरिया को जोड़ता है। इसकी लंबाई 1.865 किलोमीटर है, और पहुंच मार्गों सहित कुल परियोजना की लंबाई 8.150 किलोमीटर है, जिसमें लगभग 1871 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है।
पहले यहाँ केवल दो लेन का रेल-सह-सड़क पुल था, जिससे अक्सर यातायात जाम की समस्या होती थी। नए 6-लेन पुल के खुलने से न केवल ट्रैफिक जाम कम होगा, बल्कि भारी वाहनों की आवाजाही भी आसान हो जाएगी। अब पटना से मोकामा होते हुए बेगूसराय और खगड़िया तक 4-लेन कनेक्टिविटी निर्बाध रूप से उपलब्ध होगी।
इस पुल से पश्चिमी चंपारण, पूर्वी चंपारण, सीतामढ़ी, शिवहर, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, मधुबनी, समस्तीपुर, सुपौल, सहरसा, मधेपुरा, पूर्णिया, कटिहार, अररिया और गोपालगंज सहित उत्तर बिहार के जिलों को सीधा लाभ होगा। इसके अलावा, औरंगाबाद, गया, नवादा, जहानाबाद, पटना, नालंदा, रोहतास, जमुई, बांका और भागलपुर जैसे दक्षिण बिहार के प्रमुख जिलों के लोगों के लिए भी पटना की यात्रा आसान हो जाएगी, जिससे यातायात में राहत मिलेगी। पटना से बख्तियारपुर तक 4-लेन सड़क और सिमरिया से खगड़िया तक फोर लेन सड़क पहले ही पूरी हो चुकी है। खगड़िया से पूर्णिया तक सड़क चौड़ीकरण का काम भी चल रहा है।
नया पुल औंटा घाट-सिमरिया रेल-सह-सड़क पुल के पूर्व में बनाया गया है। पश्चिम में एक नया रेल पुल भी निर्माणाधीन है। इससे भारी ट्रकों की आवाजाही में सुविधा होगी और बेगूसराय सहित पूरे क्षेत्र में विकास को गति मिलेगी। औंटा-सिमरिया पुल 34 मीटर चौड़ा और 1.865 किलोमीटर लंबा है। पहुंच मार्गों सहित कुल लंबाई 8.15 किलोमीटर है। 1959 में सिमरिया में बना एशिया का सबसे बड़ा रेल-सह-रोड पुल (राजेंद्र सेतु) अब कमजोर हो गया है। इसलिए बेगूसराय में एक अलग 6-लेन सड़क पुल का निर्माण किया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2015 में बिहार के लिए एक विशेष पैकेज की घोषणा की थी, जिसमें इस पुल का निर्माण भी शामिल था। 2017 में मोकामा में आयोजित एक समारोह में उन्होंने इसकी आधारशिला रखी, और यह पुल 2025 में बनकर तैयार हो गया। इस सिक्स लेन गंगा ब्रिज के उद्घाटन से लोगों में उत्साह और खुशी का माहौल है। यह पुल न केवल बिहार के लिए बल्कि पूरे पूर्वी भारत के लिए एक आधुनिक बुनियादी ढांचे का प्रतीक है।