बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले राहुल गांधी ने ‘वोटर अधिकार यात्रा’ शुरू की है, जिसका उद्देश्य खोए हुए जनाधार को वापस पाना है। यह यात्रा रविवार को सासाराम से शुरू हुई और सोमवार को गया पहुंची। राहुल ने गया में सूर्य मंदिर में पूजा-अर्चना की और एक जनसभा को संबोधित किया।
इस यात्रा में तेजस्वी यादव और ‘इंडिया’ गठबंधन के अन्य नेता भी शामिल हो रहे हैं। कांग्रेस पिछले तीन दशकों से बिहार में सत्ता से बाहर है और अब महागठबंधन का हिस्सा है, जिसका नेतृत्व राजद कर रहा है। पिछले चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन कमजोर रहा था।
16 दिनों तक चलने वाली यह यात्रा 20 जिलों से गुजरेगी और 1,300 किलोमीटर की दूरी तय करेगी। यात्रा का समापन पटना में एक रैली के साथ होगा, जिसमें इंडिया गठबंधन के बड़े नेता शामिल होंगे।
राहुल गांधी ने यात्रा के मार्ग को सावधानीपूर्वक चुना है, जिसकी शुरुआत दलित बहुल क्षेत्र सासाराम से हुई। बिहार में कांग्रेस दलितों और मुस्लिमों को अपने परंपरागत वोट बैंक के रूप में देखती है। इस यात्रा का उद्देश्य मुस्लिम, यादव और दलित वोटों को अपने पक्ष में करना है।
राहुल गांधी ने जून में गया का दौरा किया था और दशरथ मांझी के गांव गहलौर गए थे।
गया जिले में, जहां यात्रा हो रही है, महागठबंधन और एनडीए के बीच कांटे की टक्कर रही है। 2020 के विधानसभा चुनाव में दोनों ने 5-5 सीटें जीती थीं।
कांग्रेस दलितों को फिर से लुभाने की कोशिश कर रही है। राहुल गांधी ने दलित नेता राजेश राम को प्रदेश अध्यक्ष बनाया है और सुशील पासी को पार्टी का सह-प्रभारी बनाया है। यह यात्रा दलित-मुस्लिम क्षेत्रों से होकर गुजर रही है, जिससे कांग्रेस इन समुदायों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दर्शाना चाहती है। देखना होगा कि इन प्रयासों का बिहार के मतदाताओं पर क्या असर होता है।