बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले सियासत गरमा रही है, वोटर लिस्ट में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर राजनीतिक घमासान जारी है। एनडीए जहां इसका समर्थन कर रहा है, वहीं विपक्षी दल महागठबंधन बनाकर इसका विरोध कर रहे हैं। कांग्रेस राहुल गांधी के नेतृत्व में ‘वोटर अधिकार यात्रा’ के जरिए महागठबंधन को मजबूत करने की कोशिश कर रही है। यह यात्रा पप्पू यादव और कन्हैया कुमार के लिए भी राहत लेकर आई है, क्योंकि पिछली रैली में उन्हें राहुल और तेजस्वी के रथ पर चढ़ने नहीं दिया गया था।
पिछली बार कांग्रेस SIR के विरोध में सड़क पर उतरी थी, जिसमें राहुल गांधी तेजस्वी यादव के साथ एक रथ पर सवार हुए थे। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में पप्पू यादव और कन्हैया कुमार को रथ पर चढ़ने से रोके जाने पर विवाद हुआ था, जिसका विपक्षी दलों ने मज़ाक उड़ाया।
कांग्रेस के लिए यह स्थिति किरकिरी भरी रही थी। कन्हैया कुमार की युवाओं में अच्छी पकड़ है, जबकि पप्पू यादव कई बार निर्दलीय सांसद चुने जा चुके हैं। अब कांग्रेस फिर से एसआईआर के विरोध में वोटर अधिकार यात्रा निकाल रही है, जिसका नेतृत्व राहुल गांधी कर रहे हैं। इस बार पार्टी पिछली गलतियों से बचने और पप्पू यादव व कन्हैया कुमार को मंच पर जगह देने की कोशिश कर रही है।
सासाराम में आयोजित जनसभा में राहुल गांधी के साथ मल्लिकार्जुन खरगे, लालू यादव, तेजस्वी यादव, मुकेश सहनी समेत कई नेता मौजूद थे। मंच पर पप्पू यादव की उपस्थिति सभी के लिए आश्चर्यजनक थी, हालांकि वे किनारे खड़े थे। कन्हैया कुमार मंच पर नहीं थे, लेकिन लालू और तेजस्वी की अनुपस्थिति में वे कांग्रेस के शीर्ष नेताओं से बात करते दिखे।
यह 16 दिन की यात्रा चुनाव से ठीक पहले शुरू हुई है, जिसमें 20 से ज्यादा जिलों को कवर किया जाएगा और लगभग 1300 किलोमीटर की दूरी तय की जाएगी। यात्रा 1 सितंबर को पटना के गांधी मैदान में एक विशाल रैली के साथ समाप्त होगी।
चर्चा है कि तेजस्वी यादव, पप्पू यादव और कन्हैया कुमार को पसंद नहीं करते हैं। कन्हैया कुमार की युवाओं में अच्छी लोकप्रियता है, और उनकी यात्राओं ने कांग्रेस को बिहार में अपनी पकड़ मजबूत करने में मदद की है। पप्पू यादव ने लालू यादव के पैर छुए थे।
अब बिहार में हालात बदल रहे हैं। कांग्रेस एसआईआर और वोटर अधिकार यात्रा के जरिए अपनी जगह बनाने की कोशिश कर रही है। कांग्रेस, पप्पू यादव और कन्हैया कुमार के जरिए बिहार में अपने वोट बैंक को बढ़ाने के साथ-साथ अपने प्रदर्शन में सुधार करना चाहती है। पिछली बार जिस तरह का व्यवहार हुआ था, वह इस बार नहीं दिख रहा है, जो दोनों नेताओं के लिए अच्छी खबर है।