भारत-पाकिस्तान विभाजन एक ऐसा दुखद अध्याय है जिसे इतिहास कभी नहीं भुला पाएगा। इस बंटवारे ने अनगिनत लोगों को ऐसी पीड़ा दी, जिसे वे आज भी महसूस करते हैं। पटना में कई ऐसे लोग हैं जो विभाजन के घावों को लेकर जीवित हैं, और स्वतंत्रता दिवस उन्हें उस दर्द की याद दिलाता है।
कुलदीप सिंह बग्गा, जो बिहार राज्य अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य रहे, के परिवार ने विभाजन का दंश सहा। उनके पिता, कभी कंपनी के मालिक, को अपनी संपत्ति और सब कुछ छोड़कर भारत आना पड़ा ताकि वे अपनी आने वाली पीढ़ियों को बचा सकें।
कुलदीप सिंह बग्गा ने बताया कि उनका परिवार गुजरांवाला, पाकिस्तान का रहने वाला था। उनके पिता अमरनाथ बग्गा की पीतल गलाने की फैक्ट्री थी, और उनका इलाके में बड़ा नाम था। विभाजन के समय, जब कुलदीप आठ महीने के थे, तो उन्हें रातों-रात सब कुछ छोड़ना पड़ा। उनके पिता को यह विश्वास नहीं हो रहा था कि उन्हें आजादी विभाजन के साथ मिली है।
कुलदीप सिंह बग्गा ने बताया कि उनके पिता ने नालंदा के तेलहाड़ा गांव में फिर से शुरुआत की। उन्होंने कड़ी मेहनत की और एक छोटा व्यवसाय शुरू किया। उनकी मेहनत रंग लाई और उन्होंने जमीन खरीदी। कुलदीप ने बताया कि उनके पिता हमेशा गुजरांवाला की यादों में खोए रहते थे।
आज, कुलदीप सिंह बग्गा बिहार में एक जानी-मानी हस्ती हैं। उन्होंने अपनी मेहनत से अलग पहचान बनाई है। वे बिहार राज्य अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य, बिहार राज्य सिख सभा के प्रतिनिधि बोर्ड के अध्यक्ष और फ्रेजर रोड स्थित गुरुद्वारे के प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष भी रहे हैं।