बिहार में खादी और ग्रामोद्योग गांव की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। खादी और ग्रामोद्योग सिर्फ हमारी परंपरा और संस्कृति का हिस्सा नहीं हैं, बल्कि पर्यावरण के अनुकूल, ग्रामीण आय में वृद्धि करने वाले और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में योगदान देने वाले भी हैं। इसका उद्देश्य गांवों में रोजगार पैदा करना, स्थानीय संसाधनों का उपयोग करना, स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देना, सामाजिक और आर्थिक विकास करना और पर्यावरण की रक्षा करना है। खादी और ग्रामोद्योग से ग्रामीणों को रोजगार मिल रहा है जिससे वे अपनी जिंदगी बेहतर बना रहे हैं। मुख्यमंत्री खादी और ग्रामोद्योग योजना के तहत, राज्य की खादी संस्थाओं को विभिन्न सुविधाएं दी जा रही हैं, जिनमें प्रशिक्षण, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर खादी मेले और प्रदर्शनियां, खादी रिवेट योजना, ग्रामोद्योग योजना, खादी आउटलेट का निर्माण और नवीनीकरण, चरखा, करघा, ऊन बुनाई मशीन, सिलाई और कढ़ाई मशीन, पूंजी सहायता और शेड निर्माण शामिल हैं। सरकार ने 2023-24 में खादी आउटलेट के निर्माण और नवीनीकरण के लिए 30 लाख रुपये स्वीकृत किए, जिसमें पटना में खादी मॉल, छपरा (सारण) और आरा (भोजपुर) में खादी भवन शामिल हैं। इसके अलावा, 2022-23 से अब तक 105 प्रशिक्षण शिविर आयोजित किए गए हैं, जिनमें 2,625 लोगों को प्रशिक्षित किया गया है। ग्रामोद्योग योजना के लिए 2023-24 में 1 करोड़ रुपये और 2024-25 में 10 लाख रुपये आवंटित किए गए हैं। खादी और ग्रामोद्योग को बढ़ावा देने के लिए, राज्य भर में समय-समय पर खादी मेलों का आयोजन किया जाता है। 2024-25 में मुजफ्फरपुर, भागलपुर, गया, सोनपुर, राजगीर, सीतामढ़ी, सहरसा, पूर्णिया, बांका, औरंगाबाद, मुंगेर और जहानाबाद सहित 12 प्रमुख शहरों में खादी मेलों का आयोजन किया गया। बिहार सरकार का मानना है कि खादी और ग्रामोद्योग न केवल परंपरा और संस्कृति का प्रतीक हैं, बल्कि पर्यावरण के अनुकूल, ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायक भी हैं।
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