बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों से पहले मतदाता सूची में संशोधन को लेकर विवाद गहरा गया है। विपक्ष एसआईआर (मतदाता सूची का गहन पुनरीक्षण) को लेकर सवाल उठा रहा है, कांग्रेस ने इसे वोट की चोरी करार दिया है। हालांकि, चुनाव आयोग ने बताया है कि विपक्ष की ओर से अब तक कोई आधिकारिक आपत्ति दर्ज नहीं कराई गई है। चुनाव आयोग का लक्ष्य है कि कोई भी योग्य मतदाता सूची से छूटे नहीं और कोई भी अयोग्य व्यक्ति इसमें शामिल न हो। 1 अगस्त को जारी ड्राफ्ट मतदाता सूची पर दावे और आपत्तियां दर्ज कराने के लिए कहा गया था, लेकिन किसी भी राजनीतिक दल ने अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, जबकि दावे और आपत्तियों की अवधि शुरू हुए 9 दिन से ज्यादा हो चुके हैं।
संसद में भी इस मुद्दे पर जमकर हंगामा हुआ, विपक्ष ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग बीजेपी के साथ मिलकर वोटों की चोरी कर रहा है।
चुनाव आयोग ने 1 अगस्त को वोटर लिस्ट ड्राफ्ट जारी किया था और सभी राजनीतिक दलों और आम नागरिकों से अपील की थी कि अगर किसी का नाम सूची से हटा दिया गया है, तो वे जरूरी दस्तावेज जमा करके अपना नाम वापस जुड़वा सकते हैं। लेकिन किसी भी राजनीतिक दल ने कोई आपत्ति दर्ज नहीं कराई। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने भी इस मामले में विरोध जताया था, लेकिन उनकी ओर से भी कोई औपचारिक अपील या कार्रवाई नहीं की गई।