बिहार और उत्तर प्रदेश के कई जिलों में बाढ़ की स्थिति गंभीर बनी हुई है, जिससे लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। प्रयागराज सबसे अधिक प्रभावित है, जहां गंगा नदी खतरे के स्तर पर बह रही है। कई आवासीय क्षेत्रों और निचले इलाकों में पानी भर गया है, जिससे बचाव कार्य में बाधा आ रही है। वाराणसी में भी बाढ़ की स्थिति बिगड़ रही है, जहां प्रमुख घाट जलमग्न हो गए हैं। हरिद्वार में गंगा खतरे के निशान से ऊपर बह रही है, जबकि पटना में भी गंगा का पानी गांवों में प्रवेश कर गया है। मौसम विभाग ने आने वाले दिनों में भारी बारिश की संभावना जताई है, जिससे स्थिति और खराब हो सकती है।
वाराणसी में गंगा का जलस्तर 72.20 मीटर पर दर्ज किया गया है, जो खतरे के निशान से 1 मीटर ऊपर है। जलस्तर धीरे-धीरे कम हो रहा है, लेकिन दशाश्वमेध घाट पूरी तरह से डूब चुका है, जिससे स्थानीय लोगों और पर्यटकों को कठिनाई हो रही है। प्रशासन स्थिति पर नजर रख रहा है और लोगों को सतर्क रहने के लिए कह रहा है।
हरिद्वार में गंगा नदी का जलस्तर खतरे के स्तर के पास पहुंच गया है। सिंचाई विभाग के अनुसार, उत्तराखंड में लगातार बारिश के कारण गंगा का जलस्तर बढ़ रहा है। भीमगोडा बैराज पर जलस्तर खतरे के निशान 294 पर पहुंच गया है। प्रशासन ने निचले इलाकों में लोगों को नदी के पास न जाने की सलाह दी है। लक्सर और खानपुर क्षेत्र के कुछ गांवों में पानी घुस गया है, जिससे किसानों को फसलों की चिंता है। ऋषिकेश में परमार्थ निकेतन घाट पर भगवान शिव की मूर्ति भी आंशिक रूप से डूब गई है।
प्रयागराज में बाढ़ की स्थिति गंभीर है, जहां गंगा का पानी शहर और गांवों में घुस गया है। बिजली और पानी की आपूर्ति बाधित होने से लोग ऊपरी मंजिलों पर रहने को मजबूर हैं। 6 अगस्त 2025 को गंगा का जलस्तर 85.20 मीटर तक पहुंच गया था, जो अब तक का सबसे खतरनाक स्तर है। राहत कार्य धीमा है।
पटना में गंगा का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है। दीघा घाट पर जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर दर्ज किया गया है और गांधी घाट पर भी जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर है। प्रशासन ने निगरानी बढ़ा दी है और लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने की सलाह दी जा रही है।