बिहार सरकार के ग्रामीण विकास विभाग के अंतर्गत जीविका ने पटना सचिवालय में एक डिब्रीफिंग सत्र का आयोजन किया। यह कार्यक्रम श्रीलंका सरकार के ग्रामीण विकास, सामाजिक सुरक्षा और सामुदायिक सशक्तिकरण मंत्रालय तथा एशियाई विकास बैंक (एडीबी) के प्रतिनिधियों के साथ ‘इमर्शन एंड लर्निंग एक्सचेंज’ (आईएलई) कार्यक्रम के तहत आयोजित किया गया। जीविका की अपर मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी श्रीमती अभिलाषा कुमारी शर्मा ने स्वागत भाषण से सत्र की शुरुआत की। जीविका के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी श्री हिमांशु शर्मा ने सतत आजीविका योजना की रूपरेखा, इसके उद्देश्यों और बिहार राज्य में गरीबी उन्मूलन के लिए किए जा रहे महत्वपूर्ण प्रयासों के बारे में जानकारी दी।
श्रीलंका और एडीबी के 28 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने बिहार सरकार द्वारा गरीबी उन्मूलन के लिए चलाई जा रही सतत आजीविका योजना के तहत गया जिले का दौरा किया। इस दौरान, उन्होंने इस योजना के लाभार्थियों द्वारा अपनाए गए आजीविका के तरीकों को देखा और अनुभव प्राप्त किया। सत्र को संबोधित करते हुए, श्रीलंका सरकार के ग्रामीण विकास, सामाजिक सुरक्षा और सामुदायिक सशक्तिकरण मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव एच.टी.आर.एन. पियासेना ने सतत आजीविका योजना के क्रियान्वयन और जमीनी स्तर पर इसके प्रभाव की सराहना की, और अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने इस यात्रा के आयोजन के लिए जीविका के प्रति आभार व्यक्त किया।
पियासेना ने योजना की मुख्य विशेषताओं और सीखों को सूचीबद्ध किया जो श्रीलंका में गरीबी को कम करने में सहायक हो सकती हैं। उन्होंने श्रीलंका सरकार द्वारा चलाई जा रही इसी तरह की योजना के बारे में भी बताया। बिहार के ग्रामीण विकास विभाग के सचिव लोकेश कुमार सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि बिहार में चल रही सतत आजीविका योजना ने लाखों गरीब परिवारों के जीवन में बदलाव लाया है। उन्होंने कहा कि यह गर्व की बात है कि श्रीलंका जैसा मित्र राष्ट्र इस मॉडल को समझने और सीखने की इच्छा रखता है। उन्होंने उम्मीद जताई कि यह अनुभव दोनों देशों के बीच सहयोग को मजबूत करेगा और वैश्विक स्तर पर गरीबी उन्मूलन में मदद करेगा।
इसके बाद, बिहार के विकास आयुक्त प्रत्यय अमृत ने सत्र को संबोधित किया। उन्होंने प्रतिनिधिमंडल के सभी सदस्यों का स्वागत करते हुए कहा कि श्रीलंका सांस्कृतिक रूप से बिहार के समान है। उन्होंने कहा कि जीविका ने सामाजिक और आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों को सशक्त बनाने का जो काम किया है, वह सराहनीय है। जीविका का यह मॉडल महिलाओं की सामूहिक शक्ति, पारदर्शिता और भागीदारी पर आधारित है। श्रीलंका सरकार के साथ यह साझा अनुभव हमें स्थानीय नवाचारों को वैश्विक स्तर पर प्रस्तुत करने का अवसर देता है। उन्होंने सुझाव दिया कि श्रीलंका के सामुदायिक पेशेवर भी बिहार आकर यहां के कार्यशैली को देख सकते हैं।
बिहार के मुख्य सचिव अमृत लाल मीणा ने श्रीलंका सरकार के प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए, बिहार सरकार की 2018 में शुरू की गई ‘सतत आजीविका योजना’ की यात्रा पर प्रकाश डाला, जिसका उद्देश्य अत्यंत गरीब परिवारों को विकास के मार्ग से जोड़ना था, जिससे बिहार में अब तक 2.1 लाख परिवारों को लाभ हुआ है। इस योजना की सफलता ने इसे राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई है। उन्होंने यह भी बताया कि सरकार ने हाल ही में स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं को आर्थिक सहायता प्रदान करने के लिए जीविका निधि नामक एक सहकारी संघ का निर्माण किया है।
वैशाली में बुद्ध सम्यक दर्शन संग्रहालय सह स्मृति स्तूप का उद्घाटन दोनों देशों के लिए गर्व का विषय है। सत्र के अंत में, जीविका के विशेष कार्य पदाधिकारी राजेश कुमार ने सभी का धन्यवाद किया और कहा कि जिस तरह बुद्ध श्रीलंका और भारत को जोड़ते हैं, उसी तरह सतत आजीविका योजना के माध्यम से दोनों देश गरीबी के खिलाफ लड़ाई में मिलकर काम करेंगे। यहां के लोग श्रीलंका जाकर इस तरह के कार्यक्रमों के क्रियान्वयन में सहयोग कर सकते हैं और श्रीलंका के लोग यहां आकर भी सीख सकते हैं।