भारत के शहरों में सर्दियों के दौरान वायु प्रदूषण का संकट गहराता जा रहा है, जिससे कार एयर प्यूरीफायर की मांग तेजी से बढ़ रही है। ये छोटे गैजेट्स कार के अंदर की हवा को साफ रखते हैं, जिससे आपकी यात्रा सुरक्षित और स्वास्थ्यप्रद बनती है।
नई दिल्ली: जब दिल्ली-एनसीआर और अन्य प्रमुख शहर जहरीले स्मॉग की चादर में लिपटे होते हैं, तो कार के अंदर की हवा की गुणवत्ता चिंता का विषय बन जाती है। इसी पृष्ठभूमि में, कार एयर प्यूरीफायर इन-कार एक्सेसरीज़ के रूप में लोकप्रियता हासिल कर रहे हैं। ये विशेष रूप से डिज़ाइन किए गए उपकरण वाहन केबिन के अंदर हानिकारक कणों, एलर्जेंस और अप्रिय गंधों को फिल्टर करते हैं, जिससे आपको बाहर के खराब हवा के स्तर के बावजूद ताज़ी हवा मिलती है।
बाजार का बढ़ता विस्तार
आंकड़े बताते हैं कि कार एयर प्यूरीफायर का वैश्विक बाजार तेजी से बढ़ रहा है और उम्मीद है कि अगले दशक में यह 15.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच जाएगा, जिसमें 16% से अधिक की वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) दर्ज की जाएगी। भारत में, विशेष रूप से दिल्ली, मुंबई, लखनऊ जैसे सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में, लोग अब अपनी कारों के लिए इन प्यूरीफायर को एक आवश्यक उपकरण के रूप में देख रहे हैं।
प्रदूषण से सुरक्षा: क्यों ज़रूरी हैं कार एयर प्यूरीफायर?
वाहन के अंदर वायु प्रदूषण के बढ़ते खतरों और बाहर की खराब हवा की गुणवत्ता के बारे में जागरूकता बढ़ने से कार एयर प्यूरीफायर की मांग में जबरदस्त इजाफा हुआ है। ये प्यूरीफायर HEPA फिल्टर, एक्टिवेटेड कार्बन और आयनाइज़र जैसी तकनीकों का उपयोग करके PM2.5 कणों, धूल, पराग कणों, धुएं और अन्य प्रदूषकों को प्रभावी ढंग से पकड़ते हैं, जिससे कार के अंदर की हवा को सांस लेने योग्य बनाया जाता है।
ऑटोमोबाइल निर्माता भी इस जरूरत को समझ रहे हैं। हुंडई, टोयोटा, एमजी जैसी कंपनियों ने अपनी कुछ कार मॉडलों में बिल्ट-इन एयर प्यूरीफायर की सुविधा देना शुरू कर दिया है। इसके अलावा, फिलिप्स, हनीवेल और यूरेका फोर्ब्स जैसे ब्रांडों के पोर्टेबल कार एयर प्यूरीफायर ऑनलाइन बिक्री में धूम मचा रहे हैं।
ट्रैफिक और स्मॉग के प्रभाव को कम करना
बढ़ते शहरीकरण, वाहनों की संख्या में वृद्धि और निर्माण कार्यों से उड़ने वाली धूल ने इन-कार एयर प्यूरीफायर को रोजमर्रा के यात्रियों के लिए एक अनिवार्य वस्तु बना दिया है। ये प्यूरीफायर विशेष रूप से स्मॉग और ट्रैफिक से निकलने वाले PM2.5 और PM10 कणों को छानने में प्रभावी हैं, जिससे श्वसन संबंधी समस्याओं जैसे खांसी, छींक और आंखों में जलन से राहत मिलती है।
यह उन लोगों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद है जो पीक आवर्स में यात्रा करते हैं या औद्योगिक क्षेत्रों के पास रहते हैं, क्योंकि यह सुनिश्चित करता है कि कार का इंटीरियर बाहर की गंभीर प्रदूषण स्थितियों में भी सुरक्षित रहे।
वैश्विक रुझान और भारत में भविष्य
संयुक्त राज्य अमेरिका, जर्मनी, चीन और जापान जैसे विकसित देशों में इन-कार एयर प्यूरीफायर पहले से ही काफी लोकप्रिय हैं, जहां कई प्रीमियम और मिड-रेंज कारों में ये सुविधा के रूप में आते हैं। भारत भी इस मामले में तेजी से आगे बढ़ रहा है, जहाँ इस सेगमेंट में 20% की CAGR से वृद्धि होने का अनुमान है। यह चलन अब केवल लक्जरी कारों तक सीमित नहीं है, बल्कि मध्यम वर्ग और टैक्सी फ्लीट ऑपरेटरों द्वारा भी इसे अपनाया जा रहा है, जो यात्रियों की सुविधा और सुरक्षा को प्राथमिकता दे रहे हैं।
प्रमुख ब्रांड्स और उनकी खासियतें
भारत में कार एयर प्यूरीफायर बाजार में फिलिप्स (HEPA फिल्ट्रेशन), हनीवेल (कॉम्पैक्ट डिज़ाइन), और यूरेका फोर्ब्स (मल्टी-लेयर फिल्ट्रेशन) जैसे ब्रांड अपनी जगह बना रहे हैं। शार्प और पैनासोनिक भी प्रीमियम वाहनों के लिए आयनाइज़र-आधारित समाधान प्रदान करते हैं।
कुछ महत्वपूर्ण बातें
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि कार एयर प्यूरीफायर पूरी तरह से कार के अंदर की हवा को ही शुद्ध करते हैं। खिड़की खुलने पर बाहर से आने वाली हवा को ये फिल्टर नहीं कर पाते। इसके अलावा, फिल्टर बदलने की लागत को ध्यान में रखना चाहिए, क्योंकि यह इन्हें महंगा बना सकता है। कुछ सस्ते मॉडल ओजोन गैस भी छोड़ सकते हैं, जो उच्च मात्रा में हानिकारक हो सकती है।
बढ़ते शहरी प्रदूषण, स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता और सरकारी पहलों के साथ, भारत का कार एयर प्यूरीफायर बाजार आने वाले वर्षों में शानदार वृद्धि के लिए तैयार है। भविष्य में, IoT और AI जैसी तकनीकों से लैस स्मार्ट प्यूरीफायर भारतीय उपभोक्ताओं के लिए और भी बेहतर और स्वच्छ ड्राइविंग अनुभव प्रदान करेंगे।
