सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के 20% इथेनॉल मिश्रण वाले पेट्रोल के फैसले को चुनौती देने वाली जनहित याचिका को खारिज कर दिया है। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस विनोद चंद्रन की बेंच ने सरकार के इथेनॉल मिश्रण कार्यक्रम का समर्थन किया है।
अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने कहा कि इस कार्यक्रम से किसानों को फायदा होगा, जो इथेनॉल का मुख्य स्रोत गन्ना उगाते हैं। सरकार ने यह भी कहा कि उपभोक्ता ईंधन के मिश्रण में बदलाव की मांग नहीं कर सकते।
क्या कार निर्माता पुराने मॉडल के लिए ई20 अपग्रेड किट उपलब्ध कराएंगे?
भारत 2003 में ई5 से 2022 तक ई10 पर आया और अब 2030 से पहले ई20 की ओर बढ़ रहा है। इथेनॉल भारत के ईंधन आयात बिल को कम करने में अहम है, जिससे 2022-23 में करीब 24,300 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा बची। यह पेट्रोल की तुलना में कम प्रदूषण फैलाता है।
ऑटोकार की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मारुति सुजुकी पुराने मॉडलों के लिए ई20 अपग्रेड किट पेश कर सकती है, जिनकी कीमत 4,000 से 6,000 रुपये के बीच होगी। ऑटो कंपोनेंट निर्माताओं, तेल कंपनियों और टेस्टिंग एजेंसी ARAI ने ई20 के पक्ष में दलील दी है और वारंटी, ईंधन दक्षता और इंजन से जुड़ी समस्याओं का आश्वासन दिया है।
याचिका में क्या कहा गया था?
याचिकाकर्ता के वकील शादन फरासत ने कहा कि उन्हें इथेनॉल मिश्रण से कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन 2023 से पहले बनी कारों के लिए शुद्ध पेट्रोल का विकल्प मांगा गया था, जो ई20 के अनुकूल नहीं हो सकती हैं। उन्होंने ई20 से ईंधन दक्षता में 6% की गिरावट की आशंका जताई और नीति आयोग की चिंता का हवाला दिया कि ई10 के विकल्प उपलब्ध नहीं हैं।
याचिका में ईंधन स्टेशनों पर इथेनॉल की मात्रा की अनिवार्य लेबलिंग, उपभोक्ता जागरूकता अभियान और ई20 ईंधन के गैर-अनुरूप वाहनों पर प्रभाव का अध्ययन करने की भी मांग की गई। याचिका में यह भी कहा गया कि कई देशों में इथेनॉल-मुक्त पेट्रोल उपलब्ध है, जबकि भारत में उपभोक्ताओं को कोई लागत लाभ नहीं मिल रहा है, जबकि इथेनॉल पेट्रोल से सस्ता है।