कैब और बाइक टैक्सी ऐप्स ने भारत में यात्रा को सरल बनाया है, लेकिन समय के साथ उनकी मनमानी भी बढ़ती जा रही है। हाल ही में Rapido पर भ्रामक विज्ञापन और ग्राहक शिकायतों को नजरअंदाज करने के लिए जुर्माना लगाया गया। यह मामला Ola और Uber जैसी बड़ी कंपनियों के लिए भी चेतावनी है, जिनके लिए सख्त नियम बनाने की आवश्यकता है।
ग्राहकों की शिकायतें हैं कि कैब बुक करने के बाद ड्राइवर बिना वजह बुकिंग कैंसिल कर देते हैं और इसका चार्ज ग्राहकों से लिया जाता है। ऐप पर दिखाए गए किराए और वास्तविक भुगतान में अक्सर अंतर होता है। इसके अलावा, भीड़भाड़ वाले समय में सर्ज प्राइसिंग से भी किराया बढ़ जाता है, जिससे लोगों को अधिक पैसे चुकाने पड़ते हैं।
सरकार ने पीक आवर्स में दोगुना किराया वसूलने की अनुमति दी है, जबकि पहले यह सीमा 1.5 गुना थी। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने नए नियम जारी किए हैं, जिसके अनुसार नॉन-पीक आवर्स में किराया बेस फेयर से 50% अधिक होना चाहिए। सरकार ने राज्य सरकारों को तीन महीने के भीतर इन नियमों को लागू करने के लिए कहा है, ताकि यात्रियों को उचित दर पर सवारी मिल सके और कंपनियों की मनमानी पर रोक लग सके। टैक्सी, ऑटो-रिक्शा और बाइक टैक्सी के लिए बेस फेयर राज्य सरकारें तय करेंगी।