दिल्ली में 10 साल पुराने डीजल वाहनों को कबाड़ में बदलने के नियम से कार मालिकों में आक्रोश है। यह नियम दिल्ली में लागू हो चुका है और जल्द ही एनसीआर (NCR) के इलाकों जैसे गुरुग्राम, फरीदाबाद, गाजियाबाद, गौतम बुद्ध नगर और सोनीपत में भी लागू होगा।
इस नियम के लागू होने के बाद से ही कार मालिकों में गुस्सा है, क्योंकि उन्हें अपनी अच्छी हालत वाली गाड़ियों को कबाड़ में बदलने के लिए मजबूर किया जा रहा है। कार मालिक सवाल उठा रहे हैं कि जब उनकी गाड़ियां अच्छी स्थिति में हैं, तो उन्हें कबाड़ में क्यों बदला जा रहा है? वे भारत सरकार के इस फैसले पर हैरानी जता रहे हैं।
इस फैसले से पहले ही, कार मालिकों पर गाड़ियों के रखरखाव और टैक्स का बोझ है। अब उन्हें अपनी गाड़ियों को कबाड़ में बदलने के लिए मजबूर किया जा रहा है, जिससे उनकी परेशानी और बढ़ गई है।
पूर्व सैनिक और होटल व्यवसायी लेफ्टिनेंट कर्नल चंद्र मोहन जगोता ने इस फैसले का विरोध किया है। उनका कहना है कि सरकार का यह फैसला मनमाना है और इससे सार्वजनिक परिवहन की कमी जैसी समस्याओं का समाधान नहीं होगा।
जगोता और अन्य कार मालिकों का कहना है कि उनकी गाड़ियां अच्छी हालत में हैं और उन्हें प्रदूषण का कारण नहीं माना जा सकता। उनका सवाल है कि जब अन्य देशों में पुराने वाहनों को अनुमति है, तो भारत में ऐसा क्यों नहीं?
सरकार ने इस नियम के तहत जुर्माना लगाने और गाड़ियों को कबाड़ में बदलने का आदेश दिया है, जिससे कार मालिकों को भारी नुकसान हो सकता है। कई लोग इस नियम में बदलाव की उम्मीद कर रहे हैं, ताकि मध्यम वर्ग पर इसका कम असर पड़े।
इस फैसले से नई कारों की बिक्री पर भी असर पड़ने की संभावना है।
कार मालिक चाहते हैं कि सरकार इस नियम पर पुनर्विचार करे और उनकी परेशानियों को कम करे।