भारत ने रक्षा क्षेत्र में एक बार फिर अपनी ताकत का प्रदर्शन किया है। हाल ही में, देश ने दो बेहद शक्तिशाली मिसाइलों का सफल परीक्षण किया है, जिसने पाकिस्तान और चीन जैसे पड़ोसी देशों की चिंता बढ़ा दी है। ये परीक्षण भारत की बढ़ती रक्षा क्षमताओं और आत्मनिर्भरता का प्रमाण हैं।
पनडुब्बी से लॉन्च होने वाली “के-4″ मिसाइल का सफल परीक्षण भारतीय नौसेना के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। आईएनएस अरिहंत से दागी गई यह मिसाइल 3,500 किलोमीटर की दूरी तक मार करने में सक्षम है।”के-4” की सबसे खास बात इसकी हाइपरसोनिक गति और दुश्मन के रडार से बचने की क्षमता है। यह मिसाइल 5 मैक से भी तेज गति से उड़ती है, जिसे रोकना लगभग असंभव है। 2,000 किलोग्राम के पेलोड के साथ, यह मिसाइल परमाणु हथियार ले जाने में भी सक्षम है, जो इसे एक रणनीतिक हथियार बनाता है।
इस मिसाइल की सटीकता सैटेलाइट मार्गदर्शन प्रणाली पर आधारित है, जो इसे किसी भी लक्ष्य को भेदने में माहिर बनाती है। तीन सफल परीक्षणों के बाद, “के-4” मिसाइल अब पूरी तरह से ऑपरेशनल है और भारतीय नौसेना की शक्ति में इजाफा करेगी। यह भारत के “न्यूक्लियर ट्रायड” (परमाणु त्रिशूल) को और मजबूत करता है, जिससे भारत किसी भी दिशा से परमाणु हमला करने में सक्षम हो जाता है।
चीन-पाकिस्तान गठजोड़ के जवाब में यह परीक्षण अत्यंत महत्वपूर्ण है। हाल की रिपोर्टों के अनुसार, चीन पाकिस्तान को सैन्य सहायता प्रदान कर रहा है, जिसमें पनडुब्बियां और युद्धपोत शामिल हैं। “के-4” मिसाइलें इस गठजोड़ को सीधे चुनौती देती हैं, क्योंकि ये चीन द्वारा सप्लाई किए गए नौसैनिक बेड़े को भी आसानी से निशाना बना सकती हैं।
आकाश-एनजी: वायु रक्षा का नया कवच
इसी क्रम में, भारत ने अपनी वायु रक्षा प्रणाली को मजबूत करने के लिए “आकाश-एनजी” (नेक्स्ट जनरेशन) मिसाइल का भी सफल परीक्षण किया है। यह मौजूदा “आकाश” मिसाइल का उन्नत संस्करण है। “आकाश-एनजी” की रेंज को बढ़ाकर 70-80 किलोमीटर कर दिया गया है, जबकि इसका वजन काफी कम (350 किग्रा) हो गया है। यह मिसाइल 20 किलोमीटर से अधिक की ऊंचाई पर उड़ने वाले लक्ष्यों को भी आसानी से भेद सकती है।
“आकाश-एनजी” की सबसे बड़ी खासियत इसकी नई आरएफ सीकर तकनीक है, जो इसे गतिशील और चकमा देने वाले लक्ष्यों का भी पीछा करके नष्ट करने में सक्षम बनाती है। हाल के परीक्षण में, इसने एक ऐसे हवाई लक्ष्य को सटीकता से निशाना बनाया जो लगातार अपनी दिशा बदल रहा था। यह भारत की वायु रक्षा क्षमताओं को एक नया आयाम देगा और दुश्मन के हवाई हमलों को नाकाम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
