बांग्लादेश के मैमनसिंह जिले में ईशनिंदा के आरोप में भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या किए गए हिंदू व्यक्ति दीपू चंद्र दास के मामले ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंताएं बढ़ा दी हैं। भीड़ ने हत्या के बाद उनके शव को आग के हवाले कर दिया था। इस घटना के संबंध में पुलिस ने अब तक 12 लोगों को गिरफ्तार किया है।
अमेरिका में सांसदों ने इस बर्बर घटना की कड़ी निंदा की है और बांग्लादेश से अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की मांग की है। वे देश में कानून-व्यवस्था की स्थिति को लेकर चिंतित हैं, खासकर ऐसे समय में जब विभिन्न विरोध प्रदर्शनों के बीच अशांति का माहौल है।
अमेरिकी कांग्रेस के सदस्य राजा कृष्णमूर्ति ने इस घटना को “भीड़ द्वारा की गई एक लक्षित हत्या” करार दिया। उन्होंने कहा कि यह घटना बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए बढ़ते खतरे का संकेत है। कृष्णमूर्ति ने बांग्लादेश सरकार से इस मामले में त्वरित और प्रभावी कार्रवाई करने, दोषियों को सजा दिलाने और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने का आह्वान किया।
उन्होंने कहा, “मैं दीपू चंद्र दास की निर्मम हत्या से बहुत दुखी हूं। बांग्लादेश सरकार को जल्द से जल्द सभी जिम्मेदार लोगों को न्याय के कटघरे में खड़ा करना चाहिए और अल्पसंख्यक समुदायों को सुरक्षा प्रदान करनी चाहिए।”
न्यूयॉर्क राज्य की असेंबलीवुमन जेनिफर राजकुमार ने भी इस घटना पर गहरा खेद व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ इस तरह की हिंसा अस्वीकार्य है। राजकुमार ने कहा, “यह भयावह है कि एक व्यक्ति को भीड़ द्वारा सिर्फ इसलिए मार दिया गया क्योंकि उस पर ईशनिंदा का आरोप लगाया गया था।” उन्होंने हिंदू समुदाय के साथ अपनी एकजुटता व्यक्त की और वैश्विक स्तर पर धार्मिक स्वतंत्रता के महत्व पर जोर दिया।
उन्होंने कहा, “क्वींस से लेकर दुनिया भर के देशों तक, हम सभी बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के डर और दर्द को समझते हैं। हम मानवाधिकारों और धार्मिक स्वतंत्रता के लिए खड़े हैं।”
