द्वितीय WHO पारंपरिक चिकित्सा वैश्विक शिखर सम्मेलन में भाग लेने आए 53 देशों के प्रतिनिधियों ने भारत के योग के प्रति दृष्टिकोण को करीब से जानने के लिए मोरारजी देसाई राष्ट्रीय योग संस्थान (MDNIY) का दौरा किया। इस भ्रमण का उद्देश्य यह समझना था कि भारत योग को आधुनिक विज्ञान और चिकित्सा में कैसे सफलतापूर्वक एकीकृत कर रहा है।
MDNIY के निदेशक, प्रोफेसर (डॉ.) के. एस. समागंदी ने संस्थान के महत्वपूर्ण कार्यों और भविष्य की योजनाओं का विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया। उन्होंने रेखांकित किया कि कैसे योग, भारत की एक प्राचीन धरोहर होने के साथ-साथ, आज के समय में स्वास्थ्य, रक्षा और शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों के लिए अत्यंत प्रासंगिक है। प्रोफेसर समागंदी ने इस बात पर जोर दिया कि WHO के सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज के लक्ष्य को प्राप्त करने में योग की भूमिका महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह भारतीय आयुष प्रणालियों में सबसे अधिक आसानी से आधुनिक वैज्ञानिक पद्धतियों के साथ जुड़ सकता है।
उन्होंने योग की एक गहरी समझ प्रदान करते हुए कहा, “योग का अर्थ सिर्फ शारीरिक व्यायाम नहीं, बल्कि आंतरिक आत्म-अन्वेषण है। यह तन और मन के बीच एक मजबूत संबंध बनाने की प्रक्रिया है।”
प्रतिनिधिमंडल ने ‘वाई-ब्रेक’ (Y-Break) सत्र का अनुभव भी लिया, जो आईगॉट कर्मयोगी (iGOT Karmayogi) प्लेटफॉर्म पर सबसे लोकप्रिय मॉड्यूल में से एक है और जिसने लाखों सरकारी अधिकारियों को लाभान्वित किया है। इस दौरान, उन्होंने MDNIY के छात्रों द्वारा प्रस्तुत किए गए मनमोहक योग फ्यूजन प्रदर्शन का भी अवलोकन किया।
यह मुलाकात प्रतिनिधियों को सार्वजनिक स्वास्थ्य में योग को एक पारंपरिक चिकित्सा पद्धति के रूप में भारत द्वारा अपनाई जा रही संस्थागत व्यवस्था की प्रत्यक्ष जानकारी देने वाली साबित हुई।
इस दौरे पर भूटान की स्वास्थ्य मंत्रालय की महानिदेशक, किंग जम्फेल ने कहा, “हमने MDNIY के अनुसंधान और योग चिकित्सा के क्षेत्र में हुई प्रगति को देखा, खासकर गैर-संचारी रोगों के प्रबंधन में। यह हमारे लिए बहुत जानकारीपूर्ण था, और हम भविष्य में सहयोग की आशा करते हैं।”
डॉ. टिबो जीन-मैरी कम्पोरे ने बुर्किना फासो में अपने देश की पारंपरिक चिकित्सा केंद्र का उल्लेख करते हुए कहा, “मैं MDNIY में अपने अनुभवों को अपने देश में साझा करूंगा। WHO का पारंपरिक चिकित्सा पर यह वैश्विक सम्मेलन बहुत ही महत्वपूर्ण पहल है।”
प्रतिनिधियों ने संस्थान के WHO सहयोग केंद्र (पारंपरिक चिकित्सा – योग) का भी दौरा किया, जो WHO SEARO के तत्वावधान में 2013 से कार्यरत है। इस केंद्र को हाल ही में 2025-2029 की अवधि के लिए नवीनीकृत किया गया है और यह WHO की पारंपरिक चिकित्सा रणनीति 2025-2034 के अनुरूप कार्य कर रहा है।
संस्थान के विभिन्न विभागों, जैसे NABH-मान्यता प्राप्त OPD, अनुसंधान विंग और पुस्तकालय का भ्रमण कराया गया। इस अवसर पर MDNIY के सी एंड डीओ, एमडी. तैयब आलम, कार्यक्रम अधिकारी, डॉ. आई. एन. आचार्य, एवं अन्य संकाय सदस्य एवं कर्मचारी मौजूद रहे।
इस दौरे ने शिखर सम्मेलन के मुख्य उद्देश्यों को बल दिया, जिसमें साक्ष्य-आधारित, सुशासन युक्त और न्यायसंगत पारंपरिक चिकित्सा को स्वास्थ्य प्रणालियों में प्रभावी ढंग से शामिल करने वाले संस्थागत मॉडलों की आवश्यकता पर जोर दिया गया।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और भारत सरकार के आयुष मंत्रालय द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित पारंपरिक चिकित्सा पर दूसरा WHO वैश्विक शिखर सम्मेलन 17-19 दिसंबर, 2025 तक नई दिल्ली के भारत मंडपम में ‘संतुलन बहाल करना: स्वास्थ्य और कल्याण का विज्ञान और अभ्यास’ थीम के तहत संपन्न हो रहा है।
