ऑस्ट्रेलिया के सिडनी शहर में यहूदी लक्ष्यों पर हुए हालिया आतंकवादी हमले ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चिंताएं बढ़ा दी हैं। इस घटना के तार पाकिस्तान से जुड़ते दिख रहे हैं, जिसने हमले के पीछे की असली वजहों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। वहीं, इज़राइल का शक ईरान पर जा रहा है, जिससे यह भू-राजनीतिक पहेली और उलझ गई है। यह भी जांच का विषय बन गया है कि क्या पाकिस्तान, जिस पर अक्सर आतंकी गतिविधियों का आरोप लगता है, को कूटनीतिक संरक्षण मिल रहा है?
ज़ी न्यूज़ के मैनेजिंग एडिटर राहुल सिन्हा द्वारा प्रस्तुत डीएनए (DNA) कार्यक्रम में, इस महत्वपूर्ण पहलू का विश्लेषण किया गया कि क्यों इज़राइल, पाक-कनेक्शन के संकेत मिलने के बावजूद, ईरान को मुख्य आरोपी मान रहा है। क्या यह सिर्फ कूटनीतिक चाल है या फिर अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रम्प और पाकिस्तान के सेना प्रमुख आसिम मुनीर के बीच मजबूत हो रहे संबंधों का असर है?
इज़राइली मीडिया की विश्वसनीय खबरों, विशेषकर चैनल 12 की रिपोर्ट के अनुसार, इज़राइल की खुफिया एजेंसी मोसाद ने हमले से करीब एक महीने पहले ही ऑस्ट्रेलियाई अधिकारियों को इस संभावित खतरे से आगाह कर दिया था। खुफिया जानकारी के मुताबिक, यह खतरा ईरान से जुड़े आतंकवादी गुटों से था, जो ऑस्ट्रेलिया में सक्रिय बताए गए थे। इसी रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि ईरान से जुड़े आतंकवाद के ढांचे को काफी हद तक निष्क्रिय कर दिया गया है और अब जांचकर्ता इस बात की पड़ताल कर रहे हैं कि क्या सिडनी के बॉन्डी बीच पर हुआ हमला भी इसी बड़े नेटवर्क का हिस्सा था।
कई प्रमुख इज़राइली अखबारों ने भी खुफिया सूत्रों के हवाले से ईरान पर संदेह जताया है। इन सूत्रों का कहना है कि हाल के महीनों में ईरान ने विश्व स्तर पर यहूदी और इज़राइली हितों पर हमले की अपनी कोशिशों को बढ़ाया है। यह घटनाक्रम ऑस्ट्रेलिया द्वारा ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) को आतंकवादी संगठन घोषित करने और ईरानी राजदूत को देश से निकालने के फैसले के बाद सामने आया है। हमले के बाद, कुछ ईरान समर्थक सोशल मीडिया पेजों पर इस घटना की सराहना की गई, जिससे ईरान पर संदेह और गहरा गया।
इसके विपरीत, खुफिया सूत्रों ने यह भी संकेत दिया है कि हमले में शामिल लोग पाकिस्तान से जुड़े थे। हालांकि, इसके बावजूद, पाकिस्तान को सीधे तौर पर जिम्मेदार नहीं ठहराया गया है। इससे यह सवाल खड़ा होता है कि क्या इस्लामाबाद को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर बचाया जा रहा है, जबकि सारा ध्यान तेहरान पर केंद्रित है।
ईरान ने सिडनी हमले की निंदा करते हुए आतंकवाद के खिलाफ अपनी मजबूत स्थिति दोहराई है। ईरानी विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि वे दुनिया में कहीं भी आतंकवाद का विरोध करते हैं। इसके बावजूद, इज़राइल का संदेह ईरान पर टिका हुआ है, जिससे यह अटकलें लगाई जा रही हैं कि क्या इज़राइल के पास कोई खास सबूत हैं, या फिर ईरान को मामले में फंसाने की कोशिश की जा रही है।
इस हमले ने ऑस्ट्रेलिया में राजनीतिक अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और कट्टरता के बीच की रेखा पर भी बहस छेड़ दी है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रही तस्वीरों से पता चलता है कि हमले से कुछ दिन पहले, एक व्यक्ति बॉन्डी बीच पर फिलिस्तीनी झंडा लहराता हुआ दिखा था, जिस पर किसी ने आपत्ति नहीं जताई थी। इससे पहले, ऑस्ट्रेलिया में एक विशाल फिलिस्तीनी समर्थक रैली आयोजित हुई थी, जिसमें हजारों लोग शामिल हुए थे और इज़राइल विरोधी नारे लगे थे। कुछ रिपोर्टों के अनुसार, हमलावर ऐसे प्रदर्शनों में भी शामिल हुए थे।
इस घटना के बाद, इज़राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ऑस्ट्रेलिया पर यहूदी विरोधी भावनाओं को पनपने देने का आरोप लगाया। इस घटना ने ऑस्ट्रेलिया में यहूदी समुदायों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल उठाए हैं और यह चिंता व्यक्त की जा रही है कि कहीं चरमपंथी तत्व राजनीतिक विरोध को अपनी गतिविधियों के लिए ढाल न बना लें।
इन घटनाओं ने न केवल ऑस्ट्रेलिया, बल्कि विश्व स्तर पर भी चिंताएं बढ़ा दी हैं। भारत जैसे देशों में भी प्रदर्शनों में फिलिस्तीनी झंडे देखे गए हैं। ऐसे में, विश्लेषक सरकारों को आगाह कर रहे हैं कि उन्हें सतर्क रहने की आवश्यकता है ताकि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दुरुपयोग हिंसक चरमपंथियों द्वारा न किया जा सके।
