हाल ही में आई उन खबरों ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है जिनमें कहा जा रहा है कि केंद्र सरकार महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) का नाम बदलकर ‘पूज्य बापू ग्रामीण रोजगार योजना’ करने पर विचार कर रही है। इस पर कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए सरकार पर इतिहास को विकृत करने और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की विरासत को धूमिल करने का प्रयास करने का आरोप लगाया है। मनरेगा, जो कि 2005 में ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार की गारंटी देने के उद्देश्य से शुरू की गई एक महत्वपूर्ण योजना है, लगातार चर्चा का विषय बनी हुई है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सांसद अखिलेश प्रसाद सिंह ने इस संभावित कदम को सरकार की ओर से इतिहास को बदलने की सोची-समझी रणनीति का हिस्सा बताया। उनका कहना है कि इस तरह के प्रयास देश की स्थापित पहचान और प्रतीकों को बदलने की मंशा रखते हैं।
वहीं, कांग्रेस सांसद तारिक अनवर ने इस रिपोर्ट को बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और महज एक राजनीतिक पैंतरा करार दिया। उन्होंने जोर देकर कहा कि गांधीजी का नाम हटाने से देश भर में उनके अनुयायियों और उनकी विचारधारा को मानने वालों की भावनाओं को ठेस पहुंचेगी। अनवर ने यह भी कहा कि जो नेता कांग्रेस छोड़कर गए हैं, उन्हें जल्द ही अपनी गलती का अहसास होगा। उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की राजनीति केवल दो प्रमुख नेताओं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह, के आसपास ही सिमट कर रह गई है, और पार्टी में उनके अलावा कोई तीसरा महत्वपूर्ण चेहरा नजर नहीं आता।
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने इस नाम परिवर्तन के पीछे के औचित्य पर ही प्रश्नचिह्न लगा दिया। उन्होंने कहा कि एक राष्ट्रव्यापी योजना का नाम बदलने से सरकारी खजाने पर भारी बोझ पड़ेगा, क्योंकि इससे संबंधित सभी कार्यालयों, दस्तावेजों, और प्रचार सामग्री को बदलना होगा। उन्होंने इस तरह के खर्च को अनावश्यक बताते हुए कहा कि जनता के पैसे का उपयोग इस तरह के नाम बदलने के आयोजनों पर नहीं किया जाना चाहिए। कई अन्य विपक्षी दलों ने भी इस बात पर जोर दिया है कि योजना के नाम को बदलने के बजाय उसके क्रियान्वयन और प्रभावशीलता को सुधारने पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए।
शिवसेना (यूबीटी) की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने इस मामले पर कहा कि इस तरह के प्रस्ताव महत्वपूर्ण राष्ट्रीय मुद्दों से ध्यान भटकाने की कोशिश हैं और यह महात्मा गांधी जैसे महान नेता के प्रति अनादर को दर्शाता है। हालांकि सरकार की ओर से कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, इस मुद्दे ने विपक्षी दलों को एकजुट कर दिया है, जो सरकार से इस पर स्पष्टीकरण मांग रहे हैं और सुझाव दे रहे हैं कि योजनाओं को मजबूत करने पर ध्यान दिया जाए, न कि उनके नाम बदलने पर।
