पाकिस्तान की सेना का सिरमौर, जनरल आसिम मुनीर, मौलानाओं के सामने हाथ जोड़कर खड़े हैं, सहायता की याचना कर रहे हैं। दूसरी ओर, अफगानिस्तान की धरती पर 2,000 से अधिक उलेमाओं की भीड़ जमा है, जिन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ ‘पवित्र युद्ध’ का बिगुल बजा दिया है। यह न केवल दो अलग-अलग सम्मेलनों का मामला है, बल्कि यह धार्मिक फतवों की एक ऐसी जंग है जो पाकिस्तान के भविष्य को तय करेगी।
**इस्लामाबाद से गुहार: जब सेना प्रमुख बने गिड़गििडाऊ**
इस्लामाबाद में आयोजित राष्ट्रीय उलेमा सम्मेलन में जनरल मुनीर ने जो बातें कहीं, वे पाकिस्तान की अंदरूनी खस्ताहाली को जगजाहिर करती हैं। उन्होंने मौलानाओं से राष्ट्र को एकजुट रखने का आग्रह किया, क्योंकि देश अंदर से बिखर रहा है। मुनीर ने माना कि मस्जिदों को अब वह भूमिका निभानी होगी जो सेना निभाने में असफल रही है – देश को बचाना।
सेना प्रमुख ने यह भी साफ किया कि जिहाद का अधिकार सिर्फ ‘राज्य’ के पास है, न कि TTP या TLP जैसे समूहों के पास। यह एक प्रकार से यह स्वीकार करना है कि चरमपंथी गुटों ने राज्य से धार्मिक नेतृत्व का नियंत्रण छीन लिया है। उन्होंने उलेमाओं से अपील की कि वे पाकिस्तानियों को उन विद्रोही संगठनों में शामिल होने से रोकें जो पाकिस्तानी सेना पर हमले कर रहे हैं। इसका सीधा मतलब है कि पाकिस्तान के अपने ही नागरिक सरकार और सेना के खिलाफ हो गए हैं।
प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने भी इस लाचारी को साफ तौर पर बयां किया। उन्होंने कहा, “अलगाववादियों को समझाने में हमारी मदद करें। देश की एकता के लिए उपदेश दें। पाकिस्तान की आर्थिक तबाही से बचाएं।” जब देश के मुखिया और सेना प्रमुख धर्मगुरुओं के सामने नतमस्तक हों, तो यह स्पष्ट संकेत है कि हालात बेकाबू हो चुके हैं।
**क्यों मची है खलबली? TTP का आतंक**
हाल ही में सामने आए वीडियो में TTP के लड़ाके खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में रॉकेटों से पाकिस्तानी सेना के वाहनों को तबाह करते नजर आ रहे हैं। हजारों तालिबान लड़ाके पहाड़ी रास्तों से पाकिस्तान में घुसपैठ कर रहे हैं। वह सेना, जो कभी पूरे इलाके पर अपना दबदबा रखती थी, अब नियंत्रण खो चुकी है।
**काबुल का कड़ा जवाब: असली धार्मिक लामबंदी**
जब मुनीर इस्लामाबाद में मदद की गुहार लगा रहे थे, उसी समय काबुल ने अपना प्रतिशोध शुरू कर दिया। अफगानिस्तान के सभी 34 प्रांतों के 2,000 से अधिक धार्मिक विद्वानों ने तीन तीखे फैसले सुनाए। उन्होंने घोषित किया कि अफगानिस्तान और तालिबान शासन की रक्षा करना हर अफगान नागरिक का मजहबी फर्ज है। उन्होंने साफ चेतावनी दी कि किसी भी विदेशी हमलावर के खिलाफ ‘पवित्र जिहाद’ छेड़ा जाएगा, जो सीधे तौर पर पाकिस्तान के लिए संदेश था। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान की किसी भी आक्रामक कार्रवाई का जवाब इस तरह से दिया जाएगा जिसकी वह कल्पना भी नहीं कर सकता। यह कोई साधारण सम्मेलन नहीं था, बल्कि यह हर अफगान के लिए पाकिस्तान के खिलाफ ‘जिहाद’ का धार्मिक आदेश था।
**निष्कर्ष: पाकिस्तान पहले ही हार चुका है**
सेना प्रमुख मुनीर चारों तरफ से मुश्किलों में घिरे हैं। एक तरफ देश के अंदर TTP के हमले, दूसरी ओर अफगानिस्तान से तालिबान की धमकी, और ऊपर से पाकिस्तानी मौलाना जो उनके पश्चिमी देशों से जुड़ाव के कारण उन्हें दुश्मन मानते हैं।
