नई दिल्ली: रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा के तुरंत बाद, अमेरिकी रक्षा कंपनी लॉकहीड मार्टिन ने भारत में अपने सी-130जे सुपर हरक्यूलिस विमान के उत्पादन की महत्वाकांक्षी योजना का खुलासा किया है। यह पहली बार है जब लॉकहीड मार्टिन ने अमेरिका के बाहर इस प्रतिष्ठित विमान के लिए एक पूरी उत्पादन लाइन स्थापित करने की पेशकश की है, जो भारत के रक्षा क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम है।
यह घोषणा 9 दिसंबर को की गई, जो पुतिन की भारत यात्रा और दोनों देशों के बीच रक्षा संबंधों को मजबूत करने की चर्चाओं के समानांतर आई। कंपनी ने भारत को इस परियोजना के लिए अपना पसंदीदा भागीदार बताया है, जो ‘मेक इन इंडिया’ पहल को और बढ़ावा दे सकता है।
भारतीय वायु सेना (IAF) ने लगभग 80 सामरिक परिवहन विमान खरीदने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। लॉकहीड मार्टिन को विश्वास है कि सी-130जे सुपर हरक्यूलिस इन जरूरतों को पूरा करने के लिए सबसे उपयुक्त है। यह विमान पहले ही 20 से अधिक देशों में अपनी विश्वसनीयता साबित कर चुका है, जिसमें भारतीय वायु सेना भी शामिल है, जो वर्तमान में 12 सी-130जे विमानों का संचालन करती है।
लॉकहीड मार्टिन के उपाध्यक्ष रॉबर्ट टॉथ ने कहा कि भारतीय वायु सेना का मध्यम परिवहन विमान (एमटीए) कार्यक्रम उनके लिए भारत में अपनी विनिर्माण क्षमताओं का विस्तार करने का एक सुनहरा अवसर है। उन्होंने जोर देकर कहा कि दुनिया भर में अवसरों का मूल्यांकन करने के बाद, भारत ही वह पहला देश है जहाँ वे अमेरिका के बाहर उत्पादन सुविधा स्थापित करने के लिए प्रतिबद्ध हुए हैं।
IAF की 80 परिवहन विमानों की आवश्यकता को देखते हुए, लॉकहीड मार्टिन ने टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स के साथ मिलकर बोली प्रक्रिया में भाग लेने की तैयारी की है। भारतीय वायु सेना ने पहले ही पुराने एएन-32 और आईएल-36 विमानों को बदलने के लिए यह बड़ा सौदा शुरू किया था, और उम्मीद है कि आने वाले हफ्तों में इस पर अंतिम निर्णय हो सकता है।
इस बड़े सौदे में अन्य अंतरराष्ट्रीय विमान निर्माता कंपनियां भी प्रतिस्पर्धा में हैं। ब्राजील की एम्ब्रेयर अपने KC-390 Millennium विमान के साथ दौड़ में है, जबकि यूरोपीय दिग्गज एयरबस डिफेंस एंड स्पेस अपना A-400M विमान पेश कर रही है। सी-130जे सुपर हरक्यूलिस एक विश्व स्तर पर सिद्ध और व्यापक रूप से उपयोग किया जाने वाला सैन्य परिवहन विमान है, जिसके 560 से अधिक यूनिट्स दुनिया भर में 23 देशों के 28 ऑपरेटरों द्वारा संचालित किए जा रहे हैं।
