रांची: झारखंड के कृषि विभाग में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। पीडीएमसी योजना के तहत किसानों को निम्न-गुणवत्ता वाले कृषि उपकरण उपलब्ध कराने वाली 12 कंपनियों को, जिन्हें सीआईपीईटी की रिपोर्ट के आधार पर ब्लैकलिस्ट किया गया था, पुनः कार्यादेश जारी कर दिए गए हैं। इस धांधली के खिलाफ आवाज़ उठाते हुए, सीपीआई के वरिष्ठ नेता अजय सिंह ने सरकार की कार्यप्रणाली पर गंभीर प्रश्नचिन्ह लगाए हैं।
अजय सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भले ही भ्रष्टाचार मुक्त झारखंड का दावा करते हों, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और है। विभाग के अधिकारी अपनी मनमानी से काम कर रहे हैं और सरकारी योजनाओं को भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा रहे हैं। उन्होंने बताया कि कुछ समय पूर्व, कृषि विभाग ने गैर-मानक गुणवत्ता वाले उत्पाद उपकरण सप्लाई करने वाली कई कंपनियों पर कार्रवाई करते हुए उन्हें ब्लैकलिस्ट किया था। सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोकेमिकल्स इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (सीआईपीईटी) द्वारा की गई सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली में उपयोग होने वाले प्लास्टिक उत्पादों की परीक्षण रिपोर्ट में इन कंपनियों के नमूनों को ‘नॉन-स्टैंडर्ड’ पाया गया था। इसी रिपोर्ट के आधार पर इन फर्मों को 5 साल के लिए प्रतिबंधित किया गया था और उनके बैंक गारंटी व भुगतानों पर रोक लगा दी गई थी।
हैरान करने वाली बात यह है कि ब्लैकलिस्ट होने के कुछ ही दिनों के भीतर, इन 12 कंपनियों को बिना किसी उचित जांच या स्पष्टीकरण के सूची से बाहर कर दिया गया और उन्हें फिर से महत्वपूर्ण कार्यादेश सौंप दिए गए। अजय सिंह ने जोर देकर कहा कि ये वही कंपनियां हैं जो आज भी कृषि विभाग में 60% से अधिक कार्यादेशों पर काम कर रही हैं और अधिकारियों की मिलीभगत से भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। उन्होंने मोहित इंडिया, मक्क नाउ इंडस्ट्रीज, ग्लोबल ई मैकेनिकल इक्विपमेंट, प्रीमियर इरिगेशन, एड्रिटेक प्राइवेट लिमिटेड, निंबस पाइप्स लिमिटेड, मोहित पॉलीटेक प्राइवेट लिमिटेड, वेदांता पॉलिमर्स प्राइवेट लिमिटेड, रंगट्टा इरिगेशन लिमिटेड, श्री भंडारी प्लास्टिक प्राइवेट लिमिटेड, भारत ड्रॉप इरिगेशन एंड एग्रो, आरएम ड्रिप एंड स्प्रिंकलर सिस्टम लिमिटेड और समय इरिगेशन प्राइवेट लिमिटेड जैसी कंपनियों के नामों का उल्लेख किया, जिनके उत्पादों को सीआईपीईटी ने अविश्वसनीय पाया था।
सीपीआई की मांग है कि सरकार अविलंब इन कंपनियों और इसमें संलिप्त अधिकारियों की जांच करे। किसानों के हितों से खिलवाड़ बंद होना चाहिए और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए ताकि सरकारी योजनाओं का क्रियान्वयन सुचारू रूप से हो सके।
