खुलासे से पता चला है कि चीन भारत की सीमा के पास 14,100 फीट की ऊंचाई पर बड़े पैमाने पर सैन्य निर्माण कर रहा है। गुप्त रूप से तीन नए हवाई अड्डे ल्हूंत्से, बुरांग और तिंगरी में स्थापित किए गए हैं, जो भारतीय हवाई क्षेत्र के लिए सीधा खतरा पैदा कर सकते हैं। ये सुविधाएं 72 लड़ाकू विमानों, हमलावर हेलीकाॉप्टरों और आधुनिक ड्रोन को तैनात करने के लिए डिज़ाइन की गई हैं।
‘द वॉल स्ट्रीट जर्नल’ की एक गहन जांच में 100 से अधिक ब्लैकस्काई उपग्रह तस्वीरों का विश्लेषण किया गया है। इन तस्वीरों से तिब्बती पठार पर 16 स्थानों पर चीन के बढ़ते सैन्य ठिकानों का पता चला है। चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) इन क्षेत्रों में अपनी सैन्य क्षमताएं लगातार बढ़ा रही है, जिसमें लड़ाकू जेट, स्ट्राइक ड्रोन और हेलीकॉप्टर के लिए रनवे और उन्नत आश्रय शामिल हैं। यह स्पष्ट है कि चीन ने तिब्बत को भारत के खिलाफ एक प्रमुख सैन्य मंच के रूप में विकसित किया है।
यह सैन्य विस्तार 2020 के गलवान घाटी संघर्ष और 2017 के डोकलाम संकट के बाद विशेष रूप से तेज हुआ है। चीन का लक्ष्य सीमा पर तेजी से सैन्य तैनाती, अपनी मारक क्षमता को बढ़ाना और चौबीसों घंटे संचालन करने की क्षमता विकसित करना है। यह आक्रामक रणनीति की ओर एक स्पष्ट संकेत है।
विशेषज्ञों का कहना है कि चीन इस क्षेत्र में लगातार निगरानी के लिए मानव रहित हवाई प्रणालियों (ड्रोन) का व्यापक उपयोग कर रहा है। इससे भारतीय सेना की हर गतिविधि पर चीन की पैनी नजर बनी रहती है, जिससे सुरक्षा संबंधी चिंताएं बढ़ जाती हैं।
इन नए सैन्य ठिकानों का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि ये चीन को भारतीय सीमा तक अपनी सेना और भारी उपकरण पहुंचाने में लगने वाले समय को घंटों तक कम कर देते हैं, जो पहले दिनों में होता था। सड़कों और हवाई अड्डों का यह एकीकृत नेटवर्क न केवल तिब्बत पर चीन की पकड़ मजबूत करता है, बल्कि भारत की उत्तरी सीमा को कई दिशाओं से भी घेरता है। इससे हिमालयी क्षेत्र में भू-राजनीतिक स्थिति में बड़ा बदलाव आया है।
