भारत और रूस ने एक महत्वपूर्ण रक्षा सहयोग समझौते को अंतिम रूप दिया है, जिसे ‘रेसिप्रोकल एक्सचेंज ऑफ लॉजिस्टिक सपोर्ट’ (reLOS) के नाम से जाना जाता है। इस समझौते के तहत, दोनों देश संयुक्त सैन्य अभ्यासों के दौरान एक-दूसरे के सैनिकों और युद्धपोतों के आदान-प्रदान की सुविधा प्रदान करेंगे। रूस की संसद के निचले सदन, स्टेट ड्यूमा ने राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की आगामी भारत यात्रा से ठीक पहले इस अहम pact को अपनी मंजूरी दे दी है। पुतिन 4 दिसंबर से 5 दिसंबर तक नई दिल्ली का दौरा करेंगे।
यह reLOS pact, जो फरवरी में हस्ताक्षरित हुआ था, दोनों देशों के बीच सैन्य लॉजिस्टिक्स के आदान-प्रदान की रूपरेखा तैयार करता है। इसमें ईंधन, रखरखाव, नौसैनिक जहाजों के लिए बंदरगाह सुविधाएं, आवश्यक आपूर्ति और अन्य परिचालन सहायता शामिल हैं, जो किसी भी समय दोनों देशों द्वारा एक-दूसरे को प्रदान की जा सकती हैं। यह समझौता दोनों देशों की रणनीतिक क्षमता को बढ़ाने और सैन्य सहयोग को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से किया गया है।
ड्यूमा में इस समझौते के अनुमोदन को दोनों देशों के बीच ‘गहन पारस्परिकता और दीर्घकालिक सहयोग’ की दिशा में एक कदम के रूप में देखा जा रहा है। यह pact विशेष रूप से संयुक्त सैन्य अभ्यासों, प्रशिक्षण अभियानों, मानवीय सहायता और आपदा राहत जैसे कार्यों के लिए लागू होगा, जब दोनों देश आपसी सहमति से निर्णय लेंगे। इस समझौते से दोनों देशों के सैन्य बलों को एक-दूसरे के संसाधनों का बेहतर उपयोग करने में मदद मिलेगी, जिससे संयुक्त अभियानों की प्रभावशीलता बढ़ेगी।
इस pact के अलावा, राष्ट्रपति पुतिन की भारत यात्रा के दौरान एस-400 वायु रक्षा प्रणाली और एसयू-57 स्टील्थ लड़ाकू विमान जैसे महत्वपूर्ण रक्षा सौदों पर भी चर्चा होने की संभावना है। इन समझौतों का उद्देश्य दोनों देशों के बीच रक्षा साझेदारी को और मजबूत करना है।
