बंगाल की खाड़ी में उत्पन्न हुआ चक्रवाती तूफान ‘डिटवाह’ ने दक्षिण एशियाई तटों पर गहरा असर डाला है। 26 नवंबर 2025 को बने इस तूफान के कारण तमिलनाडु, पुडुचेरी और आंध्र प्रदेश के तटीय इलाकों में अलर्ट जारी किया गया है।
**चक्रवात डिटवाह के निर्माण के पीछे के कारक**
यह भीषण चक्रवात बंगाल की खाड़ी के दक्षिण-पश्चिम हिस्से में एक निम्न दबाव के क्षेत्र के रूप में शुरू हुआ। तीव्र गति से इसके बनने के पीछे कई मौसम संबंधी कारण जिम्मेदार थे। क्षेत्र में 28°C से 30°C के बीच उच्च समुद्री सतह का तापमान, जो तूफानी प्रणाली को पनपने के लिए आवश्यक ऊर्जा प्रदान करता रहा। साथ ही, 10-15 नॉट की कम हवा की कतरन (wind shear) ने बादलों को लंबवत रूप से विकसित होने में मदद की। नम मानसून वाली हवाओं के प्रवाह ने भी इस प्रणाली को तेजी से मजबूत किया। नतीजतन, यह मात्र 24 से 36 घंटों के भीतर एक साधारण निम्न दबाव क्षेत्र से एक पूर्ण विकसित चक्रवाती तूफान में परिवर्तित हो गया।
**’डिटवाह’ नाम की उत्पत्ति**
अंतर्राष्ट्रीय मौसम विज्ञान संगठनों द्वारा तय की गई व्यवस्था के तहत, चक्रवात ‘डिटवाह’ का नाम यमन ने सुझाया था। यह नाम यमन के सोकोत्रा द्वीपसमूह में स्थित ‘डिटवाह लैगून’ से प्रेरित है, जो अपनी अनूठी समुद्री पारिस्थितिकी के लिए जाना जाता है। चक्रवातों के नामों की एक पूर्व-निर्धारित सूची होती है, जिसे भारत सहित 13 सदस्य देशों ने मिलकर तैयार किया है, और यह सूची क्रम से इस्तेमाल की जाती है।
**श्रीलंका में जान-माल का भारी नुकसान**
श्रीलंका इस चक्रवात से सबसे बुरी तरह प्रभावित हुआ है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारी वर्षा, बाढ़ और भूस्खलन के कारण कम से कम 410 लोगों की मौत हो चुकी है और 336 लोग अभी भी लापता बताए जा रहे हैं। सबसे ज्यादा तबाही कैंडी क्षेत्र में हुई है, जहां 88 लोगों की जान चली गई और 150 लोग गुमशुदा हैं।
राहत और बचाव कार्य जारी हैं। देश भर में 20,000 से अधिक लोग बेघर हो गए हैं और लगभग 1.2 मिलियन लोग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित हुए हैं। सरकार और सेना मिलकर उन क्षेत्रों में सड़कें साफ कर रहे हैं जहां मलबा जमा हो गया है, ताकि राहत सामग्री पहुंचाई जा सके। बिजली और संचार सेवाएं भी बाधित हुई हैं, जिन्हें बहाल करने के प्रयास किए जा रहे हैं। भारत ने ‘ऑपरेशन सागर बंधु’ के तहत सहायता सामग्री भेजी है।
