छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में नक्सलवाद के विरुद्ध चलाए जा रहे अभियानों को बड़ी सफलता मिली है। रविवार को कुल 37 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर समाज की मुख्यधारा में लौटने का निर्णय लिया। इन सरेंडर करने वाले नक्सलियों में 27 ऐसे थे जिन पर कुल 65 लाख रुपये का इनाम था। यह घटना ‘पूना मार्गेम’ (नए रास्ते) नामक एक महत्वाकांक्षी योजना के तहत हुई, जिसका उद्देश्य नक्सलियों को समाज में सम्मानजनक जीवन जीने के लिए प्रोत्साहित करना है।
दंतेवाड़ा के पुलिस अधीक्षक गौरव राय के अनुसार, यह आत्मसमर्पण वरिष्ठ पुलिस और सीआरपीएफ अधिकारियों की उपस्थिति में हुआ। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह पहल न केवल सुरक्षा बलों के प्रयासों का परिणाम है, बल्कि नक्सलियों को बेहतर भविष्य प्रदान करने के सरकारी वादे को भी दर्शाता है। आत्मसमर्पण करने वाले समूह में 12 महिलाएं भी शामिल थीं, जो इस योजना की व्यापक पहुंच को उजागर करता है।
आत्मसमर्पण करने वाले प्रमुख नक्सलियों में कुमाली उर्फ अनीता मंडावी, गीता उर्फ लक्ष्मी मडकम, रंजन उर्फ सोमा मंडावी और भीमा उर्फ जहाज़ कलमू जैसे नाम शामिल हैं। इन सभी पर प्रत्येक पर 8 लाख रुपये का भारी इनाम था, जिससे उनकी नक्सली संगठन में स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है।
पुनर्वास नीति के तहत, आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को तत्काल आर्थिक सहायता के रूप में 50,000 रुपये दिए जाएंगे। इसके अलावा, उन्हें उनकी रुचि और क्षमता के अनुसार विभिन्न प्रकार के कौशल विकास प्रशिक्षण, खेती के लिए जमीन और अन्य आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराए जाएंगे ताकि वे एक नया और सुरक्षित जीवन शुरू कर सकें।
बस्तर रेंज पुलिस द्वारा संचालित यह ‘पूना मार्गेम’ पहल क्षेत्र में शांति और विकास लाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। पिछले 20 महीनों में, 500 से अधिक माओवादी, जिनमें 165 इनामी नक्सली शामिल हैं, ने शांति का मार्ग चुना है। यह रुझान दर्शाता है कि नक्सलवाद से निपटने के लिए अपनाई जा रही रणनीतियाँ प्रभावी साबित हो रही हैं। केंद्र सरकार का लक्ष्य वर्ष 2026 तक देश को नक्सल मुक्त बनाना है, और इस दिशा में यह आत्मसमर्पण एक अहम कदम है।
