अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच शत्रुतापूर्ण संबंधों को सामान्य करने के सऊदी अरब के प्रयास एक बार फिर असफल साबित हुए हैं। सूत्रों के हवाले से आई एक मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि रियाद में आयोजित वार्ता से कोई सकारात्मक परिणाम नहीं निकला है, जिससे दोनों देशों के बीच सीमा पर जारी तनाव और बढ़ गया है।
अफगानिस्तान इंटरनेशनल के मुताबिक, तालिबान प्रतिनिधिमंडल ने पाकिस्तानी अधिकारियों के साथ बातचीत के लिए सऊदी अरब का दौरा किया था, लेकिन यह बैठक बेनतीजा रही। इस वार्ता के परिणाम को लेकर हालांकि अभी तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है।
यह पहली बार नहीं है जब शांति वार्ता विफल हुई है। इससे पहले, तुर्की और कतर की मध्यस्थता में भी दोनों देशों के बीच स्थायी शांति समझौते पर सहमति बनाने के प्रयास असफल रहे थे।
पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच की सीमा अत्यंत संवेदनशील बनी हुई है, और पिछले महीने भर से वहां भारी झड़पें हो रही हैं। पाकिस्तान ने अफगानिस्तान के अंदर कई हवाई हमले करने का आरोप लगाया है, जबकि इस्लामाबाद का कहना है कि अफगान तालिबान शासन पाकिस्तान विरोधी तत्वों को शरण दे रहा है, जो देश के भीतर हमले कर रहे हैं।
दूसरी ओर, काबुल ने ऐसे आरोपों से इनकार किया है और इस्लामाबाद पर अफगान शरणार्थियों को जबरन बाहर निकालने और उन्हें अफगानिस्तान की सीमा में धकेलने का आरोप लगाया है, जिससे देश की पहले से ही कमजोर अर्थव्यवस्था पर बोझ बढ़ रहा है।
सितंबर में दोहा में हुई शुरुआती बातचीत में एक अस्थायी युद्धविराम पर सहमति बनी थी, लेकिन इस्तांबुल में इसके बाद हुई दो बैठकों में दीर्घकालिक समाधान पर कोई समझौता नहीं हो सका।
अफगानिस्तान के टोलो न्यूज ने हाल ही में रिपोर्ट किया था कि भारत और पाकिस्तान को जोड़ने वाली डूरंड लाइन सीमा 47 दिनों से व्यापार के लिए बंद है। इसका सीधा असर दोनों देशों के व्यापार पर पड़ रहा है, और सीमा पार से सामानों की आवाजाही ठप पड़ी है। अफगानिस्तान के अर्थ मंत्रालय ने पड़ोसी देशों से व्यापार को राजनीतिक मतभेदों से अलग रखने की अपील की है, क्योंकि सीमा बंद होने से दोनों पक्षों को भारी आर्थिक नुकसान हो रहा है। पाकिस्तान-अफगानिस्तान संयुक्त चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने भी इस स्थिति पर चिंता जताई है।
सऊदी अरब, जो परंपरागत रूप से पाकिस्तान का सहयोगी रहा है, ने इस विवाद में सीधे तौर पर हस्तक्षेप करने से परहेज किया है। हालांकि, उसने दोनों देशों से संयम बरतने और तनाव कम करने का आग्रह किया है। पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच एक रक्षा समझौता भी है, जिसमें आपसी रक्षा का प्रावधान शामिल है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी शांति प्रयासों को झटका लगा है। तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने नवंबर में पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच वार्ता को आगे बढ़ाने के लिए तुर्की के विदेश और रक्षा मंत्रियों की पाकिस्तान यात्रा की घोषणा की थी, लेकिन यह यात्रा अपेक्षित समय पर नहीं हो सकी।
