प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा की जा रही जांच में अल-फलाह विश्वविद्यालय के चेयरमैन जवाद अहमद सिद्दीकी के खिलाफ गंभीर आरोप सामने आए हैं। उन पर आरोप है कि उन्होंने मदनपुर खादर, दक्षिण दिल्ली में स्थित करीब 75 लाख रुपये कीमती जमीन को जाली दस्तावेजों के सहारे हड़प लिया। विशेष रूप से, पांच मृत हिंदू भू-मालिकों के नाम पर जनरल पावर ऑफ अटॉर्नी (GPA) तैयार की गई, जिनके परिवार वाले दशकों पहले गुजर चुके थे।
ED के अनुसार, खसरा नंबर 792 की यह जमीन तरबिया एजुकेशन फाउंडेशन के नाम पर हस्तांतरित की गई थी, जिसका अंतिम लाभार्थी सिद्दीकी को माना जा रहा है। हैरानी की बात यह है कि GPA में जिन लोगों के हस्ताक्षर और अंगूठे के निशान इस्तेमाल किए गए, वे नाथू (1972 में मृत), हरबंस सिंह (1991 में मृत), हरकेश (1993 में मृत), शिव दयाल (1998 में मृत) और जय राम (1998 में मृत) थे। इसके बावजूद, 7 जनवरी 2004 को एक GPA बनाया गया।
यह मामला विश्वविद्यालय के लिए तब और भी गंभीर हो गया जब इसके तीन डॉक्टरों का संबंध हाल ही में लाल किला के पास हुए एक विस्फोट से जुड़ा, जिसमें कई जानें गईं।
ED की जांच आगे बढ़ी तो पता चला कि फर्जी GPA तैयार होने के नौ साल बाद, 27 जून 2013 को एक पंजीकृत बिक्री विलेख निष्पादित किया गया। इस सौदे में, विनोद कुमार नामक व्यक्ति ने सभी मृत मालिकों के प्रतिनिधि के रूप में हस्ताक्षर किए और जमीन तरबिया एजुकेशन फाउंडेशन को बेच दी। ED अब इस पूरे रैकेट में शामिल अन्य लोगों की पहचान करने में जुटी है।
ED ने जवाद अहमद सिद्दीकी को धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत गिरफ्तार कर लिया है। यह कार्रवाई विश्वविद्यालय के ट्रस्टियों और प्रवर्तकों के ठिकानों पर हुई तलाशी के बाद की गई है। ED का कहना है कि सिद्दीकी के पास ट्रस्ट और उसकी गतिविधियों पर पूरा नियंत्रण था, जिसके पुख्ता सबूत मिले हैं।
