रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निमंत्रण पर 4 और 5 दिसंबर को भारत आ रहे हैं। यह राजकीय यात्रा, जिसका उद्देश्य दोनों देशों के बीच ‘विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी’ को और मजबूत करना है, 5 दिसंबर को होने वाली 23वीं भारत-रूस वार्षिक शिखर बैठक का एक अभिन्न अंग है। क्रेमलिन ने इस यात्रा को ‘हर मायने में बेहद महत्वपूर्ण और फलदायी’ करार दिया है, जो इसके उच्च-स्तरीय महत्व को दर्शाता है।
इस महत्वपूर्ण यात्रा की तैयारियाँ ज़ोरों पर हैं। विदेश मंत्री एस. जयशंकर की हालिया मॉस्को यात्रा के दौरान, उनके रूसी समकक्ष सर्गेई लावरोव के साथ हुई विस्तृत बातचीत ने राष्ट्रपति पुतिन की भारत यात्रा के लिए मार्ग प्रशस्त किया है। उम्मीद है कि इस शिखर बैठक में कई नए द्विपक्षीय समझौते अंतिम रूप दिए जाएंगे, जो दोनों देशों के बीच सहयोग के नए आयाम खोलेंगे।
इन समझौतों में श्रम गतिशीलता, ऊर्जा क्षेत्र में साझेदारी और रक्षा प्रौद्योगिकियों के हस्तांतरण जैसे प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। ये पहलें दोनों देशों के बीच मजबूत रणनीतिक और आर्थिक संबंधों को और सुदृढ़ करेंगी।
अंतर्राष्ट्रीय मंच पर, भारत और रूस वर्तमान वैश्विक चुनौतियों, जैसे कि यूक्रेन में जारी संघर्ष, मध्य पूर्व की अस्थिरता और अफगानिस्तान की स्थिति पर विचारों का आदान-प्रदान करेंगे। भारत शांतिपूर्ण समाधान के प्रयासों का समर्थन करता रहा है और वैश्विक स्थिरता के महत्व को समझता है।
भारत-रूस वार्षिक शिखर बैठक दोनों देशों के नेताओं के लिए द्विपक्षीय संबंधों की पूरी श्रृंखला की समीक्षा करने का एक महत्वपूर्ण मंच है। यह निरंतर जुड़ाव, जो पिछले साल प्रधानमंत्री मोदी की मॉस्को यात्रा से भी परिलक्षित हुआ था, दोनों देशों के बीच गहरी दोस्ती और सहयोग की भावना को दर्शाता है। भू-राजनीतिक तनावों के बीच, यह यात्रा दोनों देशों के लिए अपनी साझेदारी को नवाचार और मजबूती देने का अवसर प्रदान करेगी।
