डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व वाली अमेरिकी सरकार ने एक बड़ा कदम उठाते हुए, ‘चिंताजनक माने जाने वाले देशों’ के नागरिकों को दिए गए ग्रीन कार्ड की विस्तृत जांच शुरू कर दी है। यह निर्णय व्हाइट हाउस के पास एक अफगान नागरिक द्वारा दो नेशनल गार्ड के जवानों पर हमले के बाद लिया गया है।
यूएससीआईएस के निदेशक, जोसेफ एडलो, ने घोषणा की है कि राष्ट्रपति ट्रंप के आदेश पर यह ‘गहन समीक्षा’ की जा रही है। उन्होंने सोशल मीडिया पर कहा, “राष्ट्रपति के निर्देश पर, मैंने उन सभी देशों से आने वाले शरणार्थियों के ग्रीन कार्ड की पूरी तरह से जांच करने का आदेश दिया है जिन्हें चिंताजनक श्रेणी में रखा गया है।” एडलो ने इस बात पर जोर दिया कि देश की सुरक्षा उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता है और पिछली प्रशासन की नीतियों को ‘गैर-जिम्मेदाराना’ बताया।
**घटना जिसने बदली नीति**
हाल ही में हुई घटना, जिसमें अफगान मूल के रहमानुल्लाह लाकानवाल ने नेशनल गार्ड के दो जवानों पर गोली चलाई, इस नीतिगत बदलाव का मुख्य कारण बनी। इस हमले में एक जवान की मौत हो गई और दूसरा गंभीर रूप से घायल है। लाकानवाल को हाल ही में अमेरिका में पुनर्वास कार्यक्रम के तहत लाया गया था।
**किन देशों के नागरिक प्रभावित होंगे?**
यह नई नीति यूएससीआईएस अधिकारियों को आव्रजन आवेदनों की जांच करते समय आवेदक के मूल देश को ध्यान में रखने की अनुमति देगी। विशेष रूप से 19 देशों को ‘उच्च जोखिम’ वाले देशों की सूची में रखा गया है। इन देशों के नाम इस प्रकार हैं: अफगानिस्तान, म्यांमार, बुरुंडी, चाड, कांगो गणराज्य, क्यूबा, इक्वेटोरियल गिनी, इरिट्रिया, हैती, ईरान, लाओस, लीबिया, सिएरा लियोन, सोमालिया, सूडान, टोगो, तुर्कमेनिस्तान, वेनेजुएला और यमन।
**क्या भारतीयों को चिंता है?**
यह समझना महत्वपूर्ण है कि इस ग्रीन कार्ड समीक्षा नीति का भारत पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, क्योंकि भारत ‘चिंताजनक देशों’ की सूची में शामिल नहीं है। यह नीति 27 नवंबर से लागू हो गई है और सभी लंबित तथा नए आव्रजन आवेदनों पर लागू होगी। ग्रीन कार्ड अमेरिकी नागरिकता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
