तेलंगाना उच्च न्यायालय ने गुरुवार को एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए TGPSC ग्रुप-II सेवाओं में 1,032 पदों पर हुई नियुक्तियों को रद्द करने वाले एकल न्यायाधीश के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी है। यह निर्णय उन 1,032 सफल उम्मीदवारों के लिए एक बड़ी राहत है जिनकी नियुक्तियां 2019 में हुई थी और जो 2015-16 की अधिसूचना का परिणाम थीं।
मुख्य न्यायाधीश अपारेश कुमार सिंह और न्यायमूर्ति जी एम मोहिउद्दीन की युगल पीठ ने गुरुवार को इस मामले की सुनवाई की। पीठ ने उन दो सफल उम्मीदवारों की अपील पर यह आदेश जारी किया, जो वर्तमान में उप-तहसीलदार के पद पर कार्यरत हैं। अदालत ने माना कि चार साल पुरानी नियुक्तियों को अचानक रद्द करना न्यायसंगत नहीं है।
अंतरिम रोक के मुख्य कारण
अपीलकर्ताओं, यानी सफल उम्मीदवारों, ने खंडपीठ के समक्ष कई अहम दलीलें पेश कीं, जिसके आधार पर एकल न्यायाधीश के 18 नवंबर, 2025 के आदेश को चुनौती दी गई। इस आदेश में TGPSC को नए सिरे से चयन सूची बनाने के निर्देश दिए गए थे। प्रमुख दलीलें इस प्रकार थीं:
नियुक्तियों की निष्पक्षता: अदालत ने इस बात पर सहमति जताई कि 2019 में की गई नियुक्तियों को रद्द करना उचित नहीं है, खासकर जब मूल याचिका में सभी 1,032 योग्य उम्मीदवारों को शामिल नहीं किया गया था।
प्रक्रियात्मक अनुपालन: अपीलकर्ताओं ने दावा किया कि TGPSC ने भर्ती प्रक्रिया के दौरान तकनीकी समिति द्वारा सुझाए गए नियमों का पालन किया था, जो एकल न्यायाधीश के आदेश के विपरीत था।
पूर्व अदालती फैसले: अपीलकर्ताओं ने इस ओर भी इशारा किया कि एकल न्यायाधीश ने पहले के ऐसे महत्वपूर्ण अदालती फैसलों पर ध्यान नहीं दिया, जो मौजूदा मामले के लिए प्रासंगिक थे।
इस अंतरिम रोक के साथ, अदालत ने सभी संबंधित पक्षों से जवाब तलब किया है और मामले की अगली सुनवाई छह सप्ताह बाद तय की है, ताकि इसके सभी पहलुओं पर विस्तार से विचार किया जा सके।
मूल विवाद का बिंदु: OMR शीट में गड़बड़ी के आरोप
इस पूरे विवाद की जड़ 2019 में दायर की गई एक रिट याचिका थी, जिसमें TGPSC ग्रुप-II परीक्षा के दौरान अनियमितताओं के गंभीर आरोप लगाए गए थे।
याचिकाकर्ताओं का आरोप था कि TGPSC ने उन उम्मीदवारों को भी नियुक्त किया, जिनकी OMR शीट के भाग ‘B’ में जानबूझकर मिटाने, खरोंचने या व्हाइटनर लगाने जैसे काम किए गए थे।
एकल न्यायाधीश ने अपने आदेश में 14 व्यक्तियों की नियुक्ति रद्द करते हुए TGPSC को निर्देश दिया था कि वह ऐसे अयोग्य उम्मीदवारों को सूची से हटाकर, योग्य याचिकाकर्ताओं को उनकी मेरिट के अनुसार नियुक्ति दे।
TGPSC को इस कार्य के लिए चार सप्ताह की मोहलत दी गई थी। साथ ही, न्यायाधीश ने यह भी निर्देशित किया था कि चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने के लिए OMR शीट का भौतिक सत्यापन, मूल्यांकन की वीडियोग्राफी और सभी संबंधित जानकारियों को सार्वजनिक रूप से अपलोड किया जाना चाहिए।
