पाकिस्तान के इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ गया है क्योंकि जनरल आसिम मुनीर ने ‘चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेज’ (CDF) का पदभार संभाला है। इस नई भूमिका के साथ, वे पाकिस्तान की सेना, वायु सेना और नौसेना पर पूर्ण नियंत्रण रखेंगे, जिससे देश के रक्षा ढांचे में शक्ति का अभूतपूर्व केंद्रीकरण हो जाएगा। इस महत्वपूर्ण परिवर्तन को संविधान के 27वें संशोधन के माध्यम से लागू किया गया है।
CDF का पद पुराने ‘चेयरमैन ऑफ द ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ कमेटी’ (CJCSC) की जगह लेगा, जिसे 1971 के युद्ध के बाद स्थापित किया गया था। 27 नवंबर को जनरल साहिद शमशाद मिर्जा की सेवानिवृत्ति के साथ CJCSC का पद समाप्त हो गया। जनरल मुनीर का यह नया पद उन्हें पाकिस्तान के संपूर्ण सैन्य अभियानों का सर्वोच्च कमांडर बनाता है।
लगभग 24 करोड़ की आबादी वाला पाकिस्तान, जो एक परमाणु शक्ति संपन्न देश है, अपनी स्थापना के बाद से ही नागरिक और सैन्य शासन के बीच झूलता रहा है। परवेज मुशर्रफ के बाद से, हालांकि नागरिक सरकारें सत्ता में रहीं, सेना का प्रभाव हमेशा महत्वपूर्ण रहा है, जिसे ‘हाइब्रिड रूल’ कहा जाता है। 27वां संशोधन इस ‘हाइब्रिड रूल’ को और भी मजबूत करता है, जिसमें सेना प्रमुख को परमाणु शस्त्रागार सहित सभी त्रि-सेवा कमांड पर सीधा अधिकार मिलता है।
जनरल आसिम मुनीर का कार्यकाल भी अब पांच साल के लिए बढ़ा दिया गया है, जो 2030 तक चलेगा। इससे पहले, उनका कार्यकाल 2027 में समाप्त होने वाला था। इस संशोधन के तहत, उन्हें राष्ट्रपति के बराबर का दर्जा दिया गया है और उन्हें अभियोजन से आजीवन छूट भी प्राप्त है। यह सुरक्षा व्यवस्था वायु सेना और नौसेना के प्रमुखों पर भी लागू होती है।
नई व्यवस्था के तहत, सेना के उपाध्यक्ष की नियुक्ति के लिए CDF की सिफारिश सरकार के लिए बाध्यकारी होगी। पहले यह विशेषाधिकार नागरिक सरकार के पास था। इसके अलावा, पाकिस्तान के परमाणु हथियारों की कमान संभालने वाले राष्ट्रीय सामरिक कमान के प्रमुख की नियुक्ति में भी CDF की राय को प्राथमिकता दी जाएगी।
जनरल मुनीर का उदय काफी तेज रहा है। नवंबर 2022 में सेना प्रमुख बनने से पहले, उन्होंने कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया, जिनमें इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) के महानिदेशक का पद भी शामिल था। हालांकि 2019 में इमरान खान के कार्यकाल के दौरान उन्हें ISI से हटा दिया गया था, लेकिन शहबाज शरीफ सरकार के आने के बाद उनकी स्थिति मजबूत हुई। मई 2025 में भारत के साथ ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नामक सीमा संघर्ष के बाद उन्हें फील्ड मार्शल के पद से भी नवाजा गया।
विशेषज्ञों का मानना है कि फील्ड मार्शल आसिम मुनीर अब पाकिस्तान के सबसे शक्तिशाली व्यक्ति बन गए हैं। सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल नईम खालिद लोधी के अनुसार, राजनेताओं ने अल्पकालिक लाभ के लिए देश के दीर्घकालिक हितों को खतरे में डालकर उन्हें अत्यधिक अधिकार सौंप दिए हैं। दक्षिण एशिया विशेषज्ञ शुजा नवाज ने इसे राजनेताओं की ‘उत्तरजीविता रणनीति’ करार दिया, क्योंकि मुनीर का लंबा कार्यकाल भविष्य के चुनावों में उनका समर्थन सुनिश्चित करेगा।
मुनीर को अब अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति ट्रम्प के साथ एक निजी मुलाकात का श्रेय भी दिया जाता है, लेकिन भारत जैसे पड़ोसी देशों के साथ क्षेत्रीय चुनौतियाँ उनके कार्यकाल के लिए महत्वपूर्ण बनी रहेंगी। उनकी शक्ति का यह अभूतपूर्व केंद्रीकरण पाकिस्तान के सैन्य, राजनीतिक और कूटनीतिक भविष्य पर गहरा प्रभाव डाल सकता है।
